हनुमान जयंती: पूजनमुहूर्त, विधि एवं लाभ

पवनपुत्र हनुमान भगवानशिव के गयारहवे अवतार है उन्हे ग्यारहवा रुद्र भी कहा जाता है।हनुमानजी का जन्म ब्रम्हामुहूर्त मॆ सूर्योदय के समय मेष लग्न व तुला राशि मॆ हुआ था। हनुमानजी की पत्रिका मॆ पंच महापुरुष योग विद्यमान है। लग्न का स्वामी मंगल दशमस्थान मॆ अपनी उच्च राशि मॆ बैठकर रूचक योग की सृष्टि कर रहा है। लग्न मॆ उच्च का सूर्य भास्कर नामक राज़योग बना रहा है। चतुर्थ मॆ उच्च राशि का गुरु हंस नामक राज़योग बना रहा है।

सप्तम भाव मॆ शनि अपनी उच्च राशि मॆ बैठकर शश योग का निर्माण कर रहा है। व्यय भाव मॆ शुक्र मालव्य योग का निर्माण कर रहा है। हनुमानजी परम वाकपटु थे इसिलिये हमेशा उन्होने हमेशा संदेशवाहक तथा दूत के रूप मॆ कार्य किया। दूसरे स्थान मॆ बुध की स्थिति ने उन्हे चतुर वक्ता बनाया। हनुमानजी की पत्रिका मॆ राहु छ्ठे स्थान मॆ स्थित है जिसके कारण उन्होने सभी शत्रुओं का दमन किया। 

हनुमान जन्मोत्सव का पूजन मुहूर्त
हनुमानजी जी का जन्म ब्रम्हा मुहूर्त मॆ हुआ था इसीलिये सभी जगह सूर्योदय काल मॆ ही हनुमानजी जी का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। यह समय सभी जगह अलग अलग होगा यह निश्चित है की आप सूर्योदय होते होते आप हनुमानजी जी की पूजा पाठ का कार्य पूर्ण कर लें। यदि आप अपने शहर में सूर्यादय का समय जानना चाहता हैं तो अपने स्मार्टफोन में GOOGLE APP खोलें और माइक वाला बटन दबाकर कहें 'सूर्योदय' पलक झपकते ही आपके सामने आज का सूर्योदय का समय आ जाएगा। आप गूगल में SUNRISE लिखकर भी सर्च कर सकते हैं। तत्काल आपके सामने आने वाला सूर्योदय का समय आ जाएगा। 

मंगलवारी जन्मोत्सव
हनुमानजी जी का जन्म मंगलवार को ही हुआ था। इस बार भी हनुमान जन्मोत्सव मंगलवार को आ रहा है। यह बड़ा शुभ प्रसंग है। इस दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने से शनीक्रत समस्त कष्टों का नाश होगा। इसके अलावा भी जो व्यक्ति दुष्ट ग्रहों के प्रभाव अपने पूर्व जन्म के संचित कर्मों से दुखी है उन्हे इस दिन हनुमत पूजा, हनुमान चालीसा का पाठ करने से रामायण रामचरितमानस मानस का पारायण करने से आपकी सभी समस्यायों का निवारण होगा।

हनुमत पूजा से लाभ
हनुमानजी की पूजा कलयुग मॆ सभी सुखों को देनेवाली है। व्यक्ति का जीवन नवग्रहों के अधीन होता है इसमे से यदि शनि मंगल राहु केतु बिगड़ जाये तो आदमी का जीवन नरक के समान हो जाता है।

शनि मंगल दोष का निवारण
आदमी के जीवन को नष्ट तथा नारकीय करने मॆ इन दो ग्रहों की विशेष भूमिका रहती है। हनुमत पूजा से ये दो ग्रह अनुकूल हो जाते है फलस्वरूप जीवन मॆ खास सफलता प्राप्त होती है।

राहु केतु दोष निवारण
हनुमानजी ने जन्म के समय ही राहु को सबक सिखाया था अपने जीवनकाल मॆ उन्होने सभी दुष्ट राक्षसों का वध किया है इसीलिये दुष्ट ग्रहों की पीड़ा हनुमत पूजा से समाप्त हो जाती है।इसीलिये सभी लोगों को सच्चे मन से हनुमानजी की सेवा करनी चाहिये।
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