काला धन: एक बार में ही कार्यवाही हो तो बेहतर | BLACK MONEY

राकेश दुबे@प्रतिदिन। आयकर विभाग ने ऐसे लोगों की खबर लेने के लिए पिछले सप्ताह 'ऑपरेशन क्लीन मनी' के दूसरे चरण की शुरुआत की है। कर विभाग ने पिछले सप्ताह करीब ६०००० लोगों को रडार पर लिया है, जिनमें १३०० 'ऑपरेशन क्लीन मनी' के दूसरे चरण में 'अधिक जोखिम' वाले करार दिए गए हैं। सरकार ने वित्तीय प्रणाली में काले धन का पता लगाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की है। 

जांच के दायरे में आए १३०० लोग रियल एस्टेट क्षेत्र में ऊंचे मूल्य के सौदों के कारण संदिग्ध की श्रेणी में आए हैं। इन लोगों के सौदे इनकी कर चुकाने की क्षमता और आय सृजन के हिसाब से काफी अधिक पाई गई थी। इनके द्वारा किए गए जायदाद के सौदे ६००० करोड़ रुपये से अधिक रहने का अनुमान है। दूसरे ६००० मामलों में कर विभाग ने पाया कि लोग पैसे विदेश भेजने के लिए उदार योजना (एलआरएस) का बेजा इस्तेमाल किया है और करीब १८०० करोड़ रुपये से अधिक रकम विदेश भेजी है। दूसरे चरण में यह पूरी मशक्कत सूचना स्रोतों के एकीकरण पर आधारित है। 

नोटबंदी के दौरान बैंकों में जो पुराने नोट जमा कराए गए थे, उनसे छुपे बैंक खातों और स्थायी खाता संख्या (पैन) की जानकारी मिली है, जिनसे विभाग को संबंधित व्यक्तियों के बारे में अधिक से अधिक सूचनाएं जुटाने में सहायता मिल रही है। सीबीडीटी के चेयरमैन ने बीते शुक्रवार और शनिवार को देश भर के कर अधिकारियों के साथ बैठक की थी और ऑपरेशन क्लीन मनी के दूसरे चरण पर चर्चा की थी।

कर अधिकारियों के अनुसार नोटबंदी के बाद जिन ७०  लाख पैनधारकों ने पुराने नोट जमा कराए हैं, उनमें ३५ प्रतिशत ने कभी आयकर दाखिल नहीं किया था या उनकी जमा रकम उनके कर रिटर्न से मेल नहीं खाती हैं। जांच के दौरान कुछ बैंकरों, सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों की संदिग्ध भूमिकाओं की भी जानकारी मिली थी। सवाल यह है कि जो भी हो एक बार हो बार- बार  अर्थात अलग अलग चरणों में हो रही  कार्यवाही एक भय का माहौल पैदा कर रही है |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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