
प्रदेश में खंडित परिणाम आने के बाद अटकलें लगायी जा रही थीं कि शिवसेना कांग्रेस का समर्थन ले सकती है, लेकिन सोमवार को कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन करने के मसले पर अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसने कहा है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है। कांग्रेस के इस फैसले के बाद मेयर पद को लेकर प्रदेश की राजनीतिक भाजपा और शिवसेना के बीच होने वाले गंठबंधन पर आकर टिक गयी है।
बीएमसी चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। हालांकि, शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन भाजपा ने भी दूसरा स्थान पाने में सफलता हासिल की है। 227 सीटों वाली बीएमसी में शिवसेना को 84, बीजेपी को 82, कांग्रेस 31, एनसीपी को 7 और एमएनएस को 7 सीटें मिली हैं। बहुमत का आंकड़ा 114 होता है।
कांग्रेस से हाथ मिलाने पर विचार कर सकती है राकांपा
बीएमसी में मेयर पद को लेकर बनी असमंजस की स्थिति में राकांपा ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के प्रति अपनी मंशा जाहिर की है। पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी सभी नगर निगमों और जिला परिषदों में कांग्रेस से हाथ मिलायेगी। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने इस बात से पहले ही इनकार कर दिया है कि भाजपा बीएमसी में कांग्रेस की मदद मांग रही है। पवार ने नांदेड़ में संवाददाताओं से कहा कि राकांपा चुनाव बाद के परिदृश्य में राज्य के सभी 10 नगर निगमों और 25 जिला परिषदों में गठबंधन करेगी।
पवार ने कहा कि अगर दोनों पार्टियां गठबंधन करती हैं, तो 25 जिला परिषदों में से करीब 17 से 18 में सत्ता में आ सकती हैं। आने वाले दिनों में मुंबई में एक बैठक होने वाली है, जहां गठबंधन को अंतिम रूप दिया जायेगा।