नई दिल्ली। राज्यसभा में आज एक बड़ा सवाल उठाया गया। पूछा गया कि सरकार किराना और पान की दुकानों तक को कैशलेस कर रही है लेकिन डॉक्टरों की फीस आज भी नगद ही वसूली जा रही है। कालाधन की संभावित जमाखोरी को रोकने के लिए इसे कब से कैशलेस किया जाएगा ? जवाब स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने दिया परंतु कुछ स्पष्ट नहीं किया।
उन्होंने अपने जवाब में लिखा कि इंडियन मेडिकल काउंसिल (प्रोफेशनल कंडक्ट, एटिक्वेट एंड एथिक्स) रेगुलेशन, 2002 में इस बारे में स्पष्ट रूप से कहा गया है। रेगुलेशन के अनुसार, एक चिकित्सक को स्पष्ट रूप से अपनी फीस और अन्य शुल्क को अपने कक्ष और या जिन अस्पतालों में वह दौरा कर रहा, वहां के बोर्ड में लिखना होगा।
चिकित्सक को उसकी फीस सेवा प्रदान करने से पहले बतानी चाहिए। ऑपरेशन या इलाज के दौरान या बाद में ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। जिस समय डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहा है, उसी समय उसे अपने पारिश्रमिक और राशि के बारे में स्पष्ट रूप से बतानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के बाद सरकार कैश-लेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहती है। सरकार नकद लेन-देन के बजाए अर्थव्यवस्था को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रेरित कर रही है।