नई दिल्ली। भाजपा से देश को बचाने के लिए कांग्रेस कुछ भी करने को तैयार है। बिहार के बाद यूपी में को भी साम्प्रदायिक ताकतों से बचाना है और इसीलिए सपा से गठबंधन किया गया। यह बात एक इंटरव्यू के दौरान राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कही।
कांग्रेस महासचिव और सांसद दिग्विजय सिंह ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस इन प्रांतों में 1990 के बाद से सपा, जदयू, राजद और बसपा से समझौता करती रही है। पत्रकार राजीव जायसवाल और धीरज कनौजिया से एक खास बातचीत में सिंह ने कई अहम मुद्दों पर खुल कर चर्चा की।
कन्नौज की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले कांग्रेस ने सपा का विरोध किया और फिर उसके साथ हो गई। क्या इससे जनता में गलत संदेश नहीं जाएगा?
यह बात सही है कि कांग्रेस ने यात्रा निकाली थी। राहुल गांधी ने किसानों का कर्जा माफ करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और उन्हें आधी दर पर बिजली देने की बात की थी। इसके बाद सपा में अखिलेश यादव का नेतृत्व उभर कर आया तो उन्हें लगा कि सपा में एक नया परिवर्तन हो रहा है। इन परिस्थितियों में राहुल गांधी ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सपा से गठबंधन किया।
कांग्रेस मायावती के खिलाफ क्यों नहीं बोल रही है?
हमारी लड़ाई विचारधारा की है। भाजपा की विचारधारा धर्म को आधार पर देश को बांटने की है। वो समाज को बांटने की राजनीति करती है। मायावती को कोई सांप्रदायिक नहीं कह सकता। वह दलितों की आइकॉन हैं।
चुनाव के बाद मायावती से कोई गठबंधन हो सकता है?
इस विषय पर तो यूपी के कांग्रेस प्रभारी गुलाब नबी आजाद ही बताएंगे। कांग्रेस ने 1990 से लेकर आज तक भाजपा को यूपी और बिहार की सत्ता से बाहर रखने के लिए ही समझौते किए हैं। आज संघ का प्रचारक देश का पीएम बन चुका है जो पूरे देश के लिए खतरा है।
कांग्रेस पर भी तो तुष्टिकरण का आरोप लगता रहा है?
आप तुष्टिकरण को किस तरह परिभाषित करते है? कांग्रेस ने आजादी से पहले भी कट्टरपंथी मुस्लिम और कट्टरपंथी हिंदू विचारधारा का विरोध किया। मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और संघ से इसी बात को लेकर कांग्रेस की लड़ाई थी।
आरोप है कि कांग्रेस के समय में पीएमओ की जगह 10 जनपथ का राज चलता था?
एक भी उदाहरण बता दें कि कोई फाइल मनमोहन सिंह से सोनिया गांधी के पास गई हों। यहां तो प्रधानमंत्री मोदी सीधे सीधे हस्तक्षेप करते हैं। पीएम ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। अब पीएमओ की मंजूरी के बाद ही राजनाथ सिंह तक फाइल आती है। भले राजनाथ नंबर दो हों, मगर उनके पर कतर दिए गए हैं। भाजपा ही सत्ता का केंद्रीकरण करती है।