
किसान राजू सिंह रघुवंशी ने मरने से पहले सुसाइड नोट में सरकार के अपाहिज सिस्टम को जिम्मेदार बताते हुए लिखा कि सरकारी सिस्टम ने उसे मरने को मजबूर कर दिया। पहले कुदरत ने कहर बरपाया, फिर फसल बीमा की राशि से थोड़ी आस बंधी थी। वो भी चकनाचूर हो गयी। कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था। महीने भर से सेंट्रल बैंक का वसूली अधिकारी चक्कर काट रहा था। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी किया, उसके बाद भी कहीं से राहत नहीं मिली। जब अपाहिज सिस्टम ने कुछ नहीं किया, तब उसने खुद को खत्म करने का फैसला किया और राजू पांच पेज का सुसाइड नोट लिखकर खेत में जाकर फांसी का फंदा बनाकर लटक गया।
जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बसे ग्राम नोघई में राजू सिंह ने 31 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी। उस समय सुसाइड नोट पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था। शुक्रवार को सुसाइड नोट के सामने आने पर उसकी मौत की असली वजह उजागर हुई है।
बर्बाद होती रही फसलें, बढ़ता रहा कर्ज, नहीं मिला मुआवजा
मेरी मां के नाम करीब 15 बीघा जमीन है। वर्ष 2015-16 में कर्ज लेकर सोयाबीन की फसल लगाई थी। शुरुआती दौर में बोवनी करने के बाद फसल बर्बाद हो गई। फिर अतिवृष्टि से फसल चौपट हो गई। इस कारण सेंट्रल बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में लिया गया 2 लाख रुपए का कर्ज सिर पर चढ़ गया। परिवार का खर्च चलाने के लिए 4 माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से 95 हजार का कर्ज लेना पड़ा।
शासन प्रशासन है मेरी मौत का जिम्मेदार
मुझे उम्मीद थी कि बीमा राशि मिलने पर कर्ज से निजात मिलेगी। इसके लिए गंजबासौदा के सेंट्रल बैंक के चक्कर लगाए। लेकिन यहां से भी सिर्फ आश्वासन मिले। 15 दिसंबर को सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, लेकिन महीने भर बाद भी कोई जवाब नहीं आया। सीएम शिवराज सिंह ने 10 दिसंबर को खुद घोषणा की थी हर किसान के खाते में बीमा की राशि आ जाएगी। लेकिन उनकी घोषणा झूठी निकली। अब मैं कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर रहा हूं। इसके लिए मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को परेशान न किया जाए। मेरी मौत के लिए मेरे अलावा शासन भी जिम्मेदार है।
मेरा सुसाइड नोट मीडिया में वायरल कर देना
मेरा सुसाइड नोट को दबाया न जाए, बल्कि उसे प्रिंट और सोशल मीडिया में उजागर किया जाए ताकि सरकार का झूठ उजागर हो सके। राज्य सरकार हर किसान के खाते में फसल बीमा पहुंचाने की घोषणा कर रही है। केंद्र सरकार किसान की आय को दो गुना करने की बात कह रही है। लेकिन ऐसे में किसान की आय कैसे दोगुनी होगी। क्या मेरी तरह 50 किसान आत्महत्या करेंगे, तब सरकार घोषणाएं पूरी करेगी।
सरकारी सिस्टम ने ली मेरे पिता की जान
इस हादसे के बाद मृतक राजू की पत्नी जमना बाई सदमे में है। वहीं बड़ी बेटी ऋतु और बेटा राजा सरकारी तंत्र से नाराज हैं। सरकारी स्कूल में कक्षा 10वीं टॉप करने वाली ऋतु ने कहा कि घटना के दिन 31 दिसंबर को उसके पिता सुबह के समय खेत पर घास काटने गए थे। स्कूल से लौटने के बाद उन्हें अपने पिता की मौत का पता चला। बेटी ने आरोप लगाया कि पिता की मौत के लिए सरकारी तंत्र जिम्मेदार है। यदि पिता को समय पर फसल बीमा मिल जाता तो शायद उनकी जान नहीं जाती। वहीं मृतक राजू के भाई देवेन्द्र का कहना था कि इस जमीन के भरोसे ही उनके 13 सदस्यों का परिवार पलता है। पिछले तीन साल से लगताार फसल खराब हो रही थी।
360 में से सिर्फ 4 किसानों को मिला क्लेम
सेंट्रल बैंक की गंजबासौदा शाखा में वर्ष 2015-16 के लिए 360 किसानों का फसल बीमा मंजूर हुआ था, लेकिन इनमें से सिर्फ 4 किसानों को ही राशि प्राप्त हो पाई। बैंक मैनेजर केवल सिंह के मुताबिक 356 किसानों की लगभग 73 लाख रुपए की राशि एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी से प्राप्त नहीं हो पाई है। सिंह के मुताबिक कंपनी के अधिकारियों का कहना था कि वे यह राशि दूसरी लिस्ट में भेजेंगे। अब तक कंपनी ने किसानों की सूची भी बैंक को उपलब्ध नहीं कराई है।
फसल बीमा मौत की वजह नहीं
वहीं कलेक्टर अनिल सुचारी कहा कि फसल बीमा नहीं मिलना राजू की मौत की वजह नहीं है। उसके ऊपर माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का भी कर्ज था। जिसके कारण वह परेशान था। कुछ बैंकों में बीमा राशि अटकी हुई है। इसके लिए बीमा कंपनी से लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से करवा रहे हैं जांच
सुसाइड नोट मृतक की जेब से बरामद करने के बाद उसे सीलबंद लिफाफे में रखा गया है। इसकी हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराई जाएगी। हालांकि परिजन ने अपने बयानों में किसी भी व्यक्ति पर प्रताड़ना का आरोप नहीं लगाया है।
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