भोपाल। मप्र में भाजपा की शिवराज सरकार के खिलाफ पुजारियों एवं साधु संतों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कमलापार्क में प्रदर्शन कर रहे संत समाज का कहना है कि मप्र सरकार एक अध्यादेश लाने जा रही है, जिसके तहत सभी मंदिर सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिए जाएंगे और यह हमें मंजूर नहीं।
साधु कम्प्यूटर बाबा ने बताया, हमें जानकारी मिली है कि प्रदेश सरकार एक अध्यादेश के जरिए प्रदेश के सभी मंदिरों की भूमि का अधिग्रहण करने जा रही है और इसके बाद जिला कलेक्टर मंदिरों का प्रबंधन कार्य संभालेंगे। मध्य प्रदेश में मंदिरों और उनके प्रबंधन पर नियंत्रण करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अध्यादेश लाने के प्रयासों का विरोध करते हुए प्रदेश के विभिन्न भागों से आए साधु-संतों ने राजधानी भोपाल के कमला पार्क में धरना आंदोलन और हवन किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह मंजूर नहीं है। हम बुधवार तक यहां धरने पर बैठेंगे। यदि प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस अध्यादेश को रोकने का वादा नहीं किया तो हम यहां से उठकर उत्तर प्रदेश जाएंगे और वहां चल रहे विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी के विरोध में प्रचार करेंगे।
सिर्फ आश्वासन ही मिले
एडीएम जीपी माली व एसपी नॉर्थ अरविंद सक्सेना ने यहां पहुंच कर संतों से चर्चा की। कम्प्यूटर बाबा ने इस दौरान उन्हें अपनी मांगें गिनाईं। इस दौरान संत सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव, मंत्री यशोधरा राजे व मुख्यमंत्री से कई बार मिल कर उन्हें ज्ञापन दे चुके हैं पर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
तांडव करने की चेतावनी
संतों ने अफसरों से कहा कि मांगे पूरी नहीं हुईं तो बुधवार शाम धरना खत्म कर उत्तर प्रदेश रवाना होंगे, जहां वे चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रचार करेंगे। उन्होंने जाते समय ताण्डव करने की बात कहते हुए अफसरों की पेशानी पर बल ला दिया।
बंदूक समेत दिया धरना
इंदौर के महंत शत्रुघ्नदास आकर्षण का केंद्र थे। उनके कंधे पर बंदूक टंगी थी। धरने में साध्वी चैतन्या और साधवी लक्ष्मी समेत गुफा मंदिर के महंत चंद्रमादास त्यागी, विश्व ब्राह्मण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. योगेंद्र महंत, बाबा राधे-राधे, दुर्गादास, महंत नवीनानंद मौजूद रहे। संतों को सड़क पर आंदोलन करता देख वहां से गुजरने वाले लोग दिन भर रुकते रहे। कई लोग तो वाहन सड़क पर खड़ी कर आंदोलन देखने रुके रहे। इस कारण सड़क पर जाम लगता रहा।
ये हैं प्रमुख मांगें
मठ-मंदिरों का प्रबंधक कलेक्टर को हटाकर सरकारीकरण रोका जाए।
मठ-मंदिरों के संबंध में सरकार द्वारा लाए जा रहे विधेयक को निरस्त किया जाए।
मंदिरों की भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएं।
मंदिरों की कृषि भूमि की नीलामी पर स्थाई रूप से रोक लगाई जाए।
गौचर भूमि को मुक्त कराकर गौ शालाओं को दी जाए व गुरू-शिष्य परंपरा का ध्यान रखते हुए मंदिरों में पुजारी व उत्तराधिकारी के नामांतरण की नीति बनाई जाए।