
पूर्व विधायक हुकुमचंद पहलवान के निधन से चैयरमेन का पद रिक्त हो गया है। 1144 करोड़ की सालाना आय वाले इस बैंक के मलाईदार पद के लिए खंडवा और बुरहानपुर जिले की 169सहकारी समितियों के संचालक मण्डल के सदस्यों द्वारा चुने गए डायरेक्टर वोटिंग करते हैं। दोनों जिलों के सभी डायरेक्टर भाजपा कार्यकर्ता हैं। अत: कांग्रेस के होने का कोई सवाल ही नहीं है।
बावजूद इसके यहां संघर्ष है। भाजपा के दो दिग्गज आपस में गुटबाजी कर रहे हैं। सबको साथ लेकर चलने का पाठ पढ़ाने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान यहां गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। मंत्री अर्चना चिटनीस का सहकारिता बैंकों से प्रेम किसी से छिपा नहीं है। नोटबंदी के बाद एक सरकारी छापामार कार्रवाई में उनके द्वारा स्थापित किया गया बैंक जांच की जद में आ गया था। अब देखना यह है कि अखाड़े में तब्दील हो चुके खंडवा के सहकारी बैंक चेयरमैन की कुर्सी पर किसका पट्ठा बैठता है।