यह जेल नहीं इंसानों का कत्लखाना है, सरकार का विरोध करने वाले 13000 लोगों को फांसी

सेंट्रल डेस्क। दमिश्क के पास सीरिया सरकार की एक कुख्यात जेल में पिछले पांच वर्षों में करीब 13,000 लोगों को फांसी दी गई। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने यह जानकारी देते हुए शासन पर ‘तबाही की नीति’ अपनाने का आरोप लगाया। एमनेस्टी की ‘ह्यूमन स्लॉटरहाउस: मास हैंगिंग एंड एक्सटरमिनेशन एट सैदनाया प्रीजन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट सुरक्षाकर्मियों, बंदियों और न्यायाधीशों सहित 84 प्रत्यक्षदर्शियों के साक्षात्कारों पर आधारित है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2011 से वर्ष 2015 के बीच सप्ताह में कम से कम एक बार करीब 50 लोगों के समूहों को मनमाने ढंग से मुकदमे की कार्यवाही करने, पीटने और फिर फांसी देने के लिए ‘आधी रात को पूरी गोपनीयता के बीच’ कारागार से बाहर निकाला जाता था।

मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले समूह ने लिखा, ‘इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बांधी रहती थी। उन्हें उनकी गर्दनों में फंदा डाले जाने तक यह भी नहीं पता होता था कि वह कैसे और कब मरने वाले हैं।’ पीड़ितों में अधिकतर आम नागरिक थे जिनके बारे में ऐसा माना जाता था कि वे राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सरकार के विरोधी थे। 

फांसी के गवाह रहे एक पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘वे उन्हें 10 से 15 मिनट तक फांसी पर लटकाए रखते थे।’ एमनेस्टी ने इसे युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध बताया है। एमनेस्टी ने सीरिया सरकार पर बंदियों का बार बार उत्पीड़न करके और उन्हें भोजन, पानी एवं चिकित्सकीय देखभाल से वंचित रखके ‘तबाही की नीति’ अपनाने का आरोप लगाया। समूह ने पहले कहा था कि मार्च 2011 से देश में उत्पन्न हुए संघर्ष के बाद से करीब 17,700 लोग सीरिया में सरकार की हिरासत में मारे गए।
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