देश के उच्चाधिकारियों की कुर्सी तक पहुंची आरक्षण की आग | IAS

नईदिल्ली। केंद्रीय मंत्रालय में बैठे वरिष्ठ IAS अफसरों ने 1990 में नेताओं को थोकबंद वोट कमाने के लिए 'आरक्षण' का आइडिया दिया था। 27 साल बाद 2017 में आरक्षण की आग उन्हीं नौकरशाहों की कुर्सी तक पहुंच गई। देश भर में मौजूद तमाम पदों पर योग्यता के बजाए आरक्षण के आधार पर कब्जा करने वाला वर्ग अब केंद्रीय मंत्रालय में भी योग्यता के बजाए आरक्षण के आधार पर कुर्सियां हथियाना चाहता है। आरक्षण की पहरेदारी कर रहे विशेषज्ञों ने डाटा जमा कर लिया है। यदि अब भी नियंत्रित ​नहीं किया गया तो यह जाति आधारित आरक्षण का जिन्न भारत के पूरे सिस्टम को ही निगल जाएगा। जब भारत की नीतियां बनाने और देश के भाग्य का फैसला करने का अधिकार योग्य के बजाए जाति आधारित आरक्षित व्यक्ति के हाथ में जाएगा तो क्या होगा यह शायद बताने की जरूरत नहीं। 

पढ़िए यह रिपोर्ट: 
आरटीआई कार्यकर्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) में सामान्य, पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्ग के ग्रुप ए अफसरों की संख्या की जानकारी मांगी थी। सितंबर 2016 में डीओपीटी ने केन्द्रीय मंत्रालय के अवर सचिव (अंडर सेक्रेटरी), उप निदेशक (डिप्टी सेक्रेटरी), निदेशक (डायरेक्टर), संयुक्त सचिव (ज्वाइंट सेक्रेटरी), अतिरिक्त सचिव (एडिशनल सेक्रेटरी) और सचिव (सेक्रेटरी) या इसके समकक्ष पदों की सूची आरटीआई के जवाब में दी। 

आरटीआई दस्तावेजों के मुताबिक ओबीसी वर्ग का एक भी अफसर केन्द्रीय मंत्रालयों के सबसे बड़े पद सचिव व अतिरिक्ट सचिव नहीं है। जबकि सचिव पद पर सामान्य वर्ग के 110 , और एससी वर्ग के सिर्फ दो अफसर ही कार्यरत हैं। वहीं अतिरिक्त सचिव पद पर106 अफसर सामान्य, पांच-पांच अफसर एससी और एसटी वर्ग के अफसर हैं। उधर, अवर सचिव स्तर के पदों पर 184 अफसर सामान्य वर्ग, सिर्फ दो अफसर ओबीसी वर्ग, 22 अफसर एससी वर्ग और 19 अफसर एसटी वर्ग के अफसर कार्यरत हैं। 

आंकड़ों से पता चलता है कि इन छह पदों पर इन सभी वर्गों के 1795 अफसर कार्यरत हैं। 1465 अफसर सामान्य वर्ग से, 97 अफसर ओबीसी वर्ग के, 155 अफसर एससी वर्ग और 78 अफसर एसटी वर्ग के अफसर इन छह पदों पर हैं।

ST-SC प्रमोशन बिल आज तक लंबित
आरटीआई एक्टिविस्ट महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि मैं पिछले पांच-छह सालों इस मामले पर आरटीआई आवेदन लगा रहा हूं। लेकिन स्थिति न पिछली केन्द्र सरकार में सुधरी थी और न ही वर्तमान केन्द्र सरकार में ज्यादा फक्र पड़ा है। 

गौरतलब है कि शुक्रवार को आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने आरक्षण की समीक्षा करने संबंधी बयान दिया था। उधर सुप्रीम कोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण लागू न करने के फैसले के बाद राज्य  और केन्द्र सरकारों के लिए तमाम मुश्किले खड़ी हैं। संसद में एससी-एसटी प्रमोशन बिल यूपीए सरकार से लेकर आज तक लंबित है। वहीं इस संबंध में भाजपा सांसद उदित राज से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन इस मामले पर अपनी राय देने में वे टालमटोल करते रहे।

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