
पंचायत सचिव संघ ने 10 जनवरी को राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर मटका फोड़कर प्रदर्शन करने की घोषणा कर दी है। पंचायत सचिवों की मांग के समर्थन में मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और पूर्व विधायक रमेश सक्सेना आ गए हैं। दोनों ने सरकार से सचिवों की मांगों पर विचार करने की मांग की है।
पंचायत सचिव 11 दिन से कामबंद हड़ताल पर हैं। ऐसे में पंचायतों का काम प्रभावित न हो, इसके लिए पंचायत सचिव का प्रभार रोजगार सहायकों को देने के बाद अब उपसरपंचों को सरपंच के अधिकार दे दिए हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्थाएं बनाने के लिए ये कदम उठाया गया है। कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जहां भी सरपंच हड़ताल पर हैं, वहां उपसरपंचों को प्रभार सौंपे जाएं। इसके मद्देनजर विदिशा, खंडवा, सिवनी सहित कई जिलों में आदेश जारी हो गए हैं।
पंचायत सचिव संघ के प्रांताध्यक्ष दिनेश शर्मा का कहना है कि सरकार हठधर्मिता पर उतर आई है। सरपंच चुना हुए प्रतिनिधि होता है, उसके अधिकार किसी और को नहीं दिए जा सकते हैं। एसडीएम सिर्फ सरपंच की मृत्यु होने या चुनाव न होने की सूरत में प्रभार दे सकता है, लेकिन हड़ताल पर होने की वजह से अधिकार किसी और को देने का नियम नहीं है। इसके खिलाफ सरपंच संघ सोमवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ मेें याचिका लगाएगा। वहीं, अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे सचिवों को डराया-धमकाया जा रहा है।
जबकि, इन मांगों को पूरा करने की घोषणा 23 मार्च 2013 को मुख्यमंत्री ने ही की थी लेकिन अधिकारी रोड़े अटका रहे हैं। 10 जनवरी को भोपाल में सचिव इकठ्ठा होकर प्रदर्शन करेंगे। वहीं, मुख्य कार्यपालन अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश गुप्ता ने सरकार से पंचायत सचिवों की मांगों पर विचार करने की मांग की है। गुप्ता का कहना है कि सरपंच और सचिवों के हड़ताल पर होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
250-300 करोड़ रुपए चाहिए
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि सचिवों की ज्यादतर मांगें वित्त विभाग से जुड़ी हैं। इन पर विचार किया जा रहा है। इन्हें पूरा करने में लगभग 250-300 करोड़ रुपए का आर्थिक भार आएगा। पंचायत सचिव संघ के पदाधिकारियों के साथ उनकी मांगों पर विचार-विमर्श हुआ है। विभाग के स्तर पर व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।