मप्र नोटबंदी: लोग गहने गिरवी रखकर नगदी ला रहे हैं

टीकमगढ। आठ नबंवर की मध्य रात्रि में मोदी नोटबंदी से गरीब मजदूर वर्ग बेरोजगार काफी प्रभावित हुआ है। ऐसे मजदूर वर्ग जिनकी दैनिक मजदूरी से घर का चूल्हा जलता था। ज्यादा परेशान हो रहे है। इन मजदूरो के पास पहले से बैंक बैलेंस नगदी नही थी। धन्नासेठो के यहां दैनिक मजदूरी करके परिवार का गुजर बसर कर रहे थे। मोदी नोटबंदी से अमीर लोगो ने गरीब मजदूर वर्ग को देनदारी बंद कर दी। जिससे मजदूर वर्ग अपने आभूषण अमीरों के पास गिरवी रखकर घर ग्रहस्थी दैनिक राशन पानी खरीद रहे है। दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया है। जिससे मजदूर वर्ग के सामने आर्थिक संकट मडरा रहा है।

मुख्यालय के समीप बडागॉव धसान क्षेत्र में मजदूर वर्ग गरीब परिवारों को अपने रोजमर्रा के वस्तुओ के लिये दो चार होना पड रहा है। क्योकि ऐसे परिवारो के पास पहले से पूॅजी नही है। और संसाधन विहीन है। मजदूरी पर आश्रित है। धनाढय लोगो के यहा मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे। और नगदी उधार लेकर घर का चूल्हा जलाते थे। लेकिन मोदी नोटबंदी से अमीरो के यहॉ काम ठप पडे हुये है। गरीबो को अमीरो ने उधारी देना बंद कर दिया है। जिससे उन्हे रोजमर्रा की वस्तुओ के लिये दो चार होना पड रहा है। घर ग्रहस्थी चलाने के लिये ऐसे परिवारो को अपने आभूषण अमीरो के यहा गिरबी रखने पड रहे है। तब कही उन्हे दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है। इसी तरह  जनपद पंचयात पलेरा, जतारा, क्षेत्र अति पिछडा क्षेत्र है। निर्धनता, बेरोजगारी, मजदूरी चर्म सीमा पर दिखाई देती है। 

स्यावनी, मेंदवारा,जेवर,उपडार, महेवा, कछयागुडा, पहाडीबुजुर्ग,बीरपुरा,मडोरी,उदयपुरा,सगरवारा, पठारी, फतेह खिरक, खरो, नुना, दरियापुरा, पैगाखेरा, अजनारा,बाबई,सुनरई, भदरई,पैतपुरा,सतगुवॉ, गोटेट, आदि गॉव में एक जाति बिशेष निबास करती है। हरिजन, आदिवासी, मजदूर वर्ग, जिनकी रोजी रोटी दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहती है। धनासेठो से नगदी उधार लेकर राशन सामग्री खरीद कर घर का चूल्हा जलाते है। और क्रमशः मजदूरी करके उधारी अदा करते रहते है। इस तरह अपने परिवार का भरण पोषण करते आ रहे थे। आठ नबंर से मोदी नोटबंदी से मजदूर वर्ग गरीब आदिवासी हरिजन वर्ग काफी परेशान हो रहा है। क्योकि धनासेठो ने नगदी उधार देना बंद कर दी है। किराना दुकानदारो ने राशन सामग्री उधार देना बंद कर दिया है। 

नगदी पर राशन मिलेगा हरिजन, आदिवासी, मजदूर वर्ग के पास पहले से नगदी बैंक बैलेंस नही था। एक तरफ रोजगार नही मिल रहा है। दूसरी तरफ राशन सामग्री नही मिल रही है। नगदी के अभाव में कई घरो में चूल्हा नही जल रहा है। बच्चो सहित परिवार के सदस्यो को खाली पेट ही सोना पड रहा है।  माूेदी के अच्छे दिन याद आने लगे लोगो को। लो आ गये अच्छे दिन ये देखो मोदी का खेल। कहकर गरीबो मजदूर वर्ग का उपहास उडा रहे है। ऐसे सेठकारो ने गेहूॅ का मूल्य 20 रूपया कर दिया है। नगदी पर उधारी पर मना कर दिया जाता है। जिला प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम नही उठा रहा है। जिला प्रशासन को चाहिये। ऐसे परिवारो को चिन्हित करके गेहू राशन उपलब्ध करा देना चाहिये। जिससे उनका उपहास और आर्थिक शोषण न किया जा सके। कडाके की सर्दी पड रही है। मजदूर वर्ग तन के लिये गर्म कपडा नही खरीद पा रहा है। दो वक्त की रोटी के लिये मुहताज बना हुआ है। आखिर मजदूर वर्ग करे तो क्या उसकी समझ में कुछ नही आ रहा है। क्योकि उसके पास पहले से संसाधन उपलब्ध नही है। आदिवास हरिजन वर्ग बेरोजगार दैनिक मजदूरी पर निर्भर था। इसीलिये उसके सामने आर्थिक संकट मडराने लगा है। जिला कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट।

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