माफिया से मुकाबला करने वाली महिला डीएफओ को 6 माह में तबादला

पन्ना। व्यवस्था में राजनैतिक दखलंदाजी और माफिया हस्तक्षेप इतना बढ़ चुका है कि महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अफसरों को ईमानदारी से कर्तव्य का पालन करना उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है। उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ सुश्री वासु कन्नौजिया को ही देख लें, उनका छः महीने में दूसरी बार तबादला किया गया है। सुश्री कन्नौजिया को पन्ना से हटाकर सागर जिले के नौरादेही अभ्यारण में पदस्थ किया गया है। सरकार के इस अप्रत्याशित फैसले की प्रशासनिक हलकों में तीखी अलोचना हो रही है। 

चर्चा है कि सुश्री कन्नौजिया को शिवराज सरकार की वरिष्ठ मंत्री सुश्री कुुसुम सिंह मेहदेेले के दवाब में हटाया गया है। जबकि वन विभाग के अंदरूनी चर्चाओं पर भरोसा करें तो मंत्री मेहदेले का दबाव एक फैक्टर हो सकता है पर इसकी स्क्रिप्ट (पटकथा) खनन माफिया के इशारे पर लिखी गई है। इसी साल अप्रैल महीने में अशोकनगर से पन्ना में पदस्थ होने वाली डीएफओ सुश्री बासु कन्नौजिया ने पदभार संभालते ही वन क्षेत्र में पत्थर-हीरा के अवैध उत्खनन, सागौन की अवैध कटाई की रोकथाम के लिए अभियान चलाकर प्रभावी कार्रवाई को अंजाम दिया था। वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए पहली बार ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। इन सब कारणों से महिला आईएफएस सत्ताधारी दल भाजपा के उन जनप्रतिनिधियों और नेताओं के निशाने पर आ गईं। 

नहीं किया नियमों का पालन
महिला आईएफएस की मुहिम पर ब्रेक लगाने के लिए माफिया ने इसके पूर्व वनकर्मियों पर एफआईआर दर्ज कराई थी। तब कन्नौजिया ने इसका विरोध किया था। इतना ही नहीं उन्होंने एसीएस फार्रेस्ट और पीसीसीएफ के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था। वन अपराधों की रोकथाम के कारगर प्रयासों के बीच सुश्री कन्नौजिया का अल्प समय में ही इस तरह तबादला होने से कई सवाल उठ रहे है। सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण के मामले में अखिल भारतीय वन सेवा की स्थानांतरण नीति का पालन नहीं किया गया है। जिसमें साफ है कि दो साल के पहले किसी का तबादला नहीं हो सकता है। स्थानांतरण नियम के अनुसार दो वर्ष के पूर्व स्थानांतरण करने पर कारण स्पष्ट करना होगा। लेकिन अब तक महिला डीएफओ को कारण नहीं बताया गया। इस मामले के आईएफएस ऑफिसर्स एशोसिएशन के पास पहुंचने से अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एशोसिएशन और प्रदेश सरकार का इसमें आगे क्या स्टैण्ड रहता है। 

कांग्रेस, बीजेपी सब माफिया के साथ संलिप्त
सर्वविदित है कि पन्ना जिले में पिछले कुछ वर्षों से पत्थर-रेत और हीरे का अवैध उत्खनन चरम पर है। इसमें सत्ताधारी भाजपा समेत कांग्रेस के जनप्रतिनिधि, नेता तथा माफिया सीधे तौर पर लिप्त है। इनकी खदानें पर्यावरण, खनन, वन और श्रम कानूनों को ताक पर रखकर चल रहीं है। वन और वन्यजीवों की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता न करने वाली तेज तर्राट डीएफओ सुश्री बासु कन्नौजिया ने कुछ समय पहले वन क्षेत्र में पत्थर के अवैध उत्खनन पर पूर्णतः अकंुश लगाने के लिए वन क्षेत्र के समीप चल रही खदानों का लम्बे समय से सीमांकन न होने का मामला प्रभावी तरीके से टॉस्कफोर्स समिति की बैठक में उठाया था। परिणामस्वरूप जिले की समस्त खदानों के सीमांकन के लिए वन, राजस्व एवं खनिज विभाग का संयुक्त दल गठित कर हाल ही में सीमांकन की कार्रवाई शुरू कराई गई। इससे सुश्री कन्नौजिया खनन माफियाओं के गिरोह के टॉप टॉरगेट में आ गईं। उनके मामले में भाजपाई और कांग्रेसी अपने के लिए राजनैतिक मतभेद भुलाकर एक हो गये। इस जुगलबंदी के चलते ईमानदार डीएफओ का इस तरह अचानक स्थानांतरण होने से यह साफ हो गया है कि पन्ना में पूर्व की तरह प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से खनन माफिया की हुकूमत चलती रहेगी। 

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