कुपोषण से बचने हजारों करोड़ नहीं चाहिए, बस मंत्रीजी का मंत्र अपनाइए

भोपाल। पोषण आहार समेत कई तरह के घोटालों में घिरे महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अर्चना चिटनीस ने कुपोषण से मुक्ति का मंत्र ढूंढ लिया है। यह मान लीजिए कि मध्यप्रदेश के माथे पर लगे कलंक को धोने का मंच ढूंढ लिया है। इसके लिए किसी बजट की जरूरत नहीं है। मंत्रीजी का कहना है कि बस सुर्जने (मुनगा) के बीच कुपोषित बच्चों वाले के घरों में बांट दो। बच्चे सुरजने की फली खाएंगे तो अपने आप कुपोषण दूर हो जाएगा। अब महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुर्जने (मुनगा) के बीज की तलाश कर रहे हैं। 

25 जुलाई को मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा था कि जहां भी कुपोषण या कुपोषित बच्चा मिलेगा, उस परिवार को मुनगे के बीज या पौधे बांटे जाएंगे ताकि वे उसे लगाएं। फल बच्चों को खिलाएं। कुपोषण से मुक्ति पाएं। तो यह मंत्र मिलते ही अफसर मुनगा मिशन में सक्रिय हो गए। वन विभाग से 2 हजार पौधों की मांग की। मंडल की नर्सरी में पौधे नहीं थे। डीएफओ ने मना कर दिया। इसके बाद से अफसर लगातार नर्सरी के चक्कर लगा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि उन्हें हाईब्रीड सुर्जने के जितने पौधे चाहिए, वो कहीं नहीं हैं। तीन महीने की मशक्कत के बाद गिनती के 400 बीज और 200 पौधे मिल पाए। 

भोपाल वन मंडल के कंजरवेटर एसपी तिवारी ने बताया कि नीबू, संतरा और सुर्जने के पौधे और बीज के लिए महिला एवं बाल विकास से मांग आई थी। हमारे पास पौधे नहीं थी तो मना कर दिया गया। हालांकि महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक राहुल दत्त कहते हैं कि उन्हें मुनगे के जो पौधे और बीज मिले, वह सात सौ परिवारों में बांटना है। यह कार्यक्रम मार्च तक चलेगा। विभाग ने अपने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से कह दिया है कि खुद बीज खरीदकर पौधे तैयार करो और बांटो। अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैरान हैं। मुनगा मिशन के चर्चे गांवों तक पहुंच गए हैं। 
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