बेंगलुरु। समाजसेवा के नाम पर ग्राहकों के बिल में मनमानी रकम जोड़ने का आरोपी वासुदेव अडिगा फास्ट फूड होटल उपभोक्ता फोरम के बाद हाईकोर्ट में भी हार गया। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले फोरम ने उसे अनुचित व्यापार का दोषी करार देते हुए 1100 रुपए का जुर्माना लगाया था। इस फैसले के साथ ही यह सुनिश्चित हो गया कि कोई भी व्यापारी अपने उत्पाद के साथ समाजसेवा के नाम पर अतिरिक्त राशि वसूल नहीं कर सकता। फिर चाहे वो केवल 1 रुपए ही क्यों ना हो।
एक अंग्रेजी अख़बार में छपी खबर के अनुसार वकील टी नरसिंम्हा मूर्ति शहर के वासुदेव अडिगा के फास्ट फूड होटल में गए थे। इस दौरान उन्होंने इडली का ऑर्डर दिया जिसकी कीमत 24 रुपए थी लेकिन जब उन्होंने बिल भरा तो उनसे 25 रुपए लिए गए। इससे नाराज मूर्ति ने उपभोक्ता अदालत में होटल के खिलाफ यह कहते हुए केस ठोक दिया कि यह अनुचित है।
कोर्ट में अपनी सफाई में होटल मालिक ने बताया कि जो एक रुपया ज्यादा लिया गया है। वो दरअसल कई राज्यों में मिड डे मिल स्कीम चला रहे एनजीओ को दान करने के लिए था। होटल के मेनू कार्ड में भी इसका जिक्र किया गया है। उपभोक्ता फोरम ने इसे अनुचित मानते हुए होटल पर 1100 रुपए का जुर्माना ठोक दिया। होटल संचालक ने जुर्माना स्वीकार नहीं किया और 2014 में उपभोक्ता फोरम के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन हाईकोर्ट ने भी होटल का दावा खारिज कर दिया।