नईदिल्ली। भारत में भविष्य निधि खाता धारक हर कर्मचारी का फ्री इंश्योरेंस होता है। यह कवर 6 लाख रुपए का होता है एवं 24 घंटे प्रभावी होता है, चाहे कर्मचारी आॅफिस में हो या घर पर। इस लाइफ इंश्योरेंस को एंप्लॉई डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) कहा जाता है। अगर पीएफ खाताधारी की दुर्भाग्यवश मौत हो जाती है तो यह पैसा उनके उत्तराधिकारी को मिलता है।
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी कर्मचारी इस इंश्योरेंस कवर के हकदार होते हैं जिनकी सैलरी से पीएफ खाते के लिए पैसा कटता है। यह नियोक्ता की जिम्मेदारी है कि उनके हर कर्मचारी का ईपीएफ स्कीम के तहत खाता हो। अगर कोई एंप्लॉयर अपने कर्मचारियों को इंश्योरेंस कवर देता है तो वे ईपीएफओ इंश्योरेंस स्कीम के विकल्प को छोड़ सकते हैं लेकिन इसके लिए उनको मंजूरी लेनी होगी। ईपीएफओ के लाइफ इंश्योरेंस कवर के लिए कर्मचारियों को अलग से पैसा नहीं देना पड़ता है। पीएफ खाते के पैसों से ही इस इंश्योरेंस का कॉस्ट कवर किया जाता है।
कितने पैसों का होता है इंश्योरेंस?
पीएफ खाताधारी की मौत होने की स्थिति में उत्तराधिकारी 6 लाख रुपए तक का दावा कर सकते हैं। इस इंश्योरेंस कवर में कितना पैसा मिलेगा, इसकी गणना के लिए खाताधारी के पिछले एक साल की सैलरी का औसत निकाला जाता है। बेसिक प्लस डीए को मिलाकर इस औसत सैलरी की गणना होती है।
इस औसत सैलरी का 30 गुणा अमाउंट का दावा लाइफ इंश्योरेंस कवर के तहत किया जा सकता है। औसत सैलरी 15,000 रुपए तक यह बीमा राशि दी जाती है। (15,000 x 30 = 4.5 लाख रुपए तक)
इस इंश्योरेंस के अलावे पीएफ खाते में जमा राशि का 50 प्रतिशत (1.50 लाख रुपए तक) का दावा किया जा सकता है लेकिन बोनस और इंश्योरेंस कवर को जोड़कर 6 लाख रुपए तक की राशि इस स्कीम के तहत दी जाती है। (4.5 लाख + 1.5 लाख = 6 लाख)
इस इंश्योरेंस कवर के दावे की प्रक्रिया
पीएफ खाताधारी की मृत्यु के बाद नॉमिनी इंश्योरेंस अमाउंट पाने का दावा कर सकते हैं। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को डेथ सर्टिफिकेट, सक्सेशन सर्टिफिकेट और बैंक डिटेल्स देने की जरूरत होगी। अगर पीएफ खाते का कोई नॉमिनी नहीं है तो फिर कानूनी उत्तराधिकारी यह अमाउंट पाने का दावा कर सकते हैं।
जब पीएफ खाते से पैसा निकालने का फॉर्म एंप्लॉयर के पास जमा करना हो तभी इसके साथ इंश्योरेंस कवर का फॉर्म भी जमा करना ठीक रहता है। इस फॉर्म को एंप्लॉयर सत्यापित करता है, उसके बाद कवर का पैसा मिलता है। इस इंश्योरेंस का दावा तभी तक किया जा सकता है जब पीएफ खाताधारी की मौत उनके कार्यकाल में कभी भी हुई हो, चाहे वह छुट्टी का दिन हो या ऑफिस में हो।