इसे कहते हैं संगठन: अनुकंपा अनुदान लौटाने वाली अध्यापक की विधवा को 1 लाख मदद

मंडला। अनुकम्पा नियुक्ति के बदले 1 लाख रूपये आश्रित को देने की सरकार की योजना को उस समय गहरा धक्का लगा जब मण्डला जिले के घुघरी विकासखण्ड के दिवगंत अध्यापक सुरेशदास सोनवानी की पत्नी श्रीमती अमीरा सोनवानी ने तंहगाली के बाद भी सरकारी 1 लाख रूपये लेने से साफ इंकार कर दिया। बता दें कि दिवगंत अध्यापक की पत्नि को सक्षम अधिकारी ने यह कहकर अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था कि उसके पास बीएड या डीएड की डिग्री नहीं है और न ही वह शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं। अध्यापक पत्नी ने रोते बिलखते अधिकारी के समक्ष गुहार लगाई थी कि इस एक लाख से उसका जीवन गुजारा नहीं हो सकता भले उसे तीन चार हजार की नौकरी दे दी जाये पर ये एक लाख रूपये मंजूर नहीं हैं। 

घर पति की कमाई से ही चलता था कहीं से कोई आय का स्त्रोत नहीं है। जब हर कर्मचारी के मरने पर आश्रित को नौकरी मिलती है तो मुझे क्यों नहीं। अध्यापक मामलें में दोषपूर्ण नीति से क्षुब्ध राज्य अध्यापक संघ के अध्यापकों ने दिवगंत अध्यापक पत्नी को तत्काल सहारा देने के लिये 3 तीन के अंदर ही 1 लाख रूपये जुटा लिये और शिक्षक दिवस के अवसर पर ससम्मान यह राशि उनकी पत्नी को सौंप दी गई और भरोसा दिलाया की संघ आंदोलन और न्यायालय के जरिये सरकार से इस लड़ाई को लडे़गा और जब तक सरकार अनुकम्पा नियुक्ति नियम का सरलीकरण नहीं करती ऐसे मामलों में अध्यापक परिवार का सहयोग किया जायेगा। 

राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने बताया कि सरकार हर कर्मचारी की मृत्यु पर उसके आश्रित को उसकी योग्यता के अनुसार किसी न किसी पद पर अनुकम्पा नियुक्ति देती है। पर अध्यापकों के मामले में प्रावधान होते हुये भी लगभग किसी भी आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिल रही है। बता दे कि सरकार ने अध्यापक मामले में सिर्फ संविदा शिक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान करके रखा है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत् कक्षा 12में 50 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण, डी.एड. किया हो साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किया हो। 

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