
प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने अपने कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों से मदद मांगी थी परंतु इसका उल्टा असर हो गया। प्रदेश भर के भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता बाढ़ पीड़ितों के लिए धन, वस्त्र और बर्तन संग्रह के लिए अपने घरों से निकल रहे है। व्यापारियों और आम जनता से चंदा वसूली शुरू कर दी गई है।
वसूली पर निकले भाजपा नेता बता रहे हैं कि भीषण बाढ़ से अनेक लोगों के मकान ढह गये है, पशु आदि मर गये है। उनकी सहायता धन-संग्रह से की जा सकती है। इसी के साथ घरों में बर्तन और कपड़ों की भारी क्षति हुई है। इसलिए समाज से बर्तन और कपड़े दान देने की अपील की जा रही है। आने वाले दिन सर्दी के होंगे इसलिए गरम कपड़ों के बारें में भी दानदाताओं को चिंता करनी पड़ेगी।
यहां बता दें कि रीवा-सतना समेत विंध्य में आई बाढ़ से करीब 3.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। सरकार ने अब तक मात्र 20 हजार लोगों को ही सहायता उपलब्ध कराई है। ऐसा नहीं है कि सरकार का खजाना खाली है। हजारों करोड़ के टेंडर पेमेंट लगातार जारी हैं। कोई भुगतान रोका नहीं गया है। जिन कर्मचारियों को 7वां वेतनमान देने की घोषणा की, उनसे एक दिन का वेतन तक नहीं मांगा गया। मप्र में भाजपा के 10 लाख से ज्यादा कार्यकर्ता हैं। यदि प्रत्येक कार्यकर्ता 250 रुपए का सहयोग करे तो 25 करोड़ हो जाते हैं। इसके बाद यदि कम पड़े तो जनता हमेशा तैयार है।
लेकिन नहीं, पार्टी की पुरानी आदत है। मौका मिलते ही निकल पड़ते हैं आम व्यापारियों की पीठ पर रसीद फाड़ने। याद दिला दें कि सिंहस्थ से पहले भी भाजपा ने अनाज का दान मांगा था। लोगों ने क्विंटलों अनाज महाकुंभ के नाम पर दिया लेकिन वो भाजपा के कार्यालयों में ही जमा रहा। सरकार ने 6000 करोड़ खर्च करके महाकुंभ का आयोजन करवाया। भाजपा का कोई योगदान नहीं रहा।