तो, शिवराज जी को अशोक चक्र दो !

राकेश दुबे@प्रतिदिन। परसों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जब होम गार्ड्स के कंधों पर लटके तो न उन्हें और न उनके खास कारकुनों को यह समझ आया कि यह नकारात्मक प्रचार की मिसाल बन जायेगा। उसके बाद भेजा गया सरकारी स्पष्टीकरण और सोशल मीडिया पर सरकार भक्तों ने जो कुछ लिखा वह यह साफ जाहिर होता है भाजपा के जिला स्तरीय कार्यकर्ता और राज्य शासन में बड़े ओहदे पर बैठे लोगे एक ही तरह से काम करते हैं। एक दम कापी पेस्ट।

समाचार पत्रों में प्रकाशित सरकारी स्पष्टीकरण में मुख्यमंत्री को होमगार्ड के कन्धो पर इसलिए लादा गया की उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, पानी में जहरीले जानवर हो सकते हैं। इस बार पानी में जानवर और आदमी एक ही दशा को प्राप्त हुए हैं यानि दोनों बेघर। सरकार को अपन ध्यान फोटो खिचवाने और सुर्खिया बटोरने से अतिरिक्त भी लगाना चाहिए। राहत के नाम पर राजधानी में बनते गेंहू की कहानी अभी ताज़ा है। पन्ना में राहत कैसे बंट रही है ये वहां के लोग ही बता सकते हैं। भाजपा कार्यकर्ता तो, मुख्यमंत्री के इस अदम्य साहस और वीरता पर अशोक चक्र से बड़ा कोई और पुरुस्कार मांग बैठे और वल्लभ भवन के कारकुन उस पर मुहर लगा दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।

जेड श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था के सन्दर्भ में पुलिस के सबसे बड़े ओहदे से निवृत एक अधिकारी का कहना है ऐसा कही उल्लेखित नहीं है, की जिसे जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हो, उसे कन्धो पर उठाया जाये, और उसकी सुरक्षा का सारा जिम्मा उसकी विवेचना और विश्लेष्ण का दायित्व और तदनुसार सलाह देने का काम, उसके मुख्य सुरक्षा अधिकारी का होता है। यह सब जानते हैं की जिले में सबसे कमजोर कड़ी होमगार्ड होती है सुरक्षा में लगे बाकी लोगों ने मुख्यमंत्री को होमगार्ड के कंधे पर लाद दिया।

वैसे भी सुरक्षा के नाम पर मिले अमले के दुरूपयोग, सुरक्षा कर्मियों के अभद्र व्यवहार और उनकी अवांछित गतिविधियों के कई मामले चर्चा में हैं। अब इस डांगा-डोली के मामले को लेकर ही पुनर्विचार हो सकता है। वल्लभ भवन के कारकुन नहीं करेंगे। उनकी रूचि और लाभ तो  अशोक चक्र दिलाने में है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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