भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के संदर्भ में अनूपपुर से एक अप्रत्याशित खबर आ रही है। यहां भूख हड़ताल पर बैठे किसानों से मुख्यमंत्री ने मिलना तक गंवारा नहीं किया। इतना ही नहीं जब उनसे कहा गया कि 'यदि इंसाफ ना मिला तो किसान परिवार समेत आत्महत्या कर लेंगे' तो शिवराज ने कुछ इस तरह सर हिलाया, मानो कह रहे हों कि 'तो ठीक है, मर जाओ।'
यह जानकारी सीपीआई (एम) मध्यप्रदेश, राज्य सचिव, बादल सरोज ने दी है। उन्होंने बताया कि अनूपपुर शहर की पुरानी बस्ती की जमीन जिला चिकित्सालय बनाने के लिए अधिग्रहित की गयी थी। उस जमीन पर काबिज लोग उजाड़ दिए गए, बाद में जिला चिकित्सालय नहीं बना। आज जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जनदर्शन और अंत्योदय मेले के लिए उस इलाके से गुजर रहे थे तो विस्थापितों ने सपरिवार पहुँच कर उनके काफिले को रास्ते में ही रोक कर मुआवजे और जमीन वापसी की गुहार लगाई। उनसे कहा कि किसान भूख हड़ताल पर बैठे हैं आप उनसे मिल लें। मुख्यमंत्री ने कहा ज्ञापन भेज दो।
किसान बोलते रहे मुख्यमंत्री चुप चाप सुनते रहे। विस्थापितों ने आज़िज आकर कहा कि अगर इन्साफ नहीं मिला तो वे अपने परिवारों सहित आत्महत्या कर लेंगे। सैकड़ों नागरिकों की मौजूदगी में शिवराज ने सर हिलाकर मर जाने का और काफिले को आगे बढ़ने का इशारा किया।
बादल ने कहा कि विश्व भर के रिकॉर्ड तोड़ने वाले व्यापमं और अनेक घोटालों के बावजूद कुर्सी पर जमे रहने से व्यक्ति में कितना अहंकार और अशिष्टता आ जाती है, आज शिवराज सिंह ने उसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राय में यह आचरण एक असाधारण असभ्यता है। असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। लोकतंत्र और प्रदेश की जनता दोनों का अपमान है। भर्त्सना योग्यकृत्य है।