संविदा कर्मचारियों का शोषण कर रहा है राज्य शिक्षा केंद्र

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केंद्र में संविदा पर कार्यरत नवनियुक्त कर्मचारियों डाटा एन्ट्री  ऑपरेटर, एम.आई.एस. कॉर्डिनेटर, मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों के साथ लगभग 03 साल से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा व्यापंम के माध्यम से लगभग 03 वर्ष पहले परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें डाटा एन्ट्री ऑपरेटर, ब्लॉक एमआईएस कॉर्डिनेटर एवं मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें निर्धारित मानदेय डाटा एन्ट्री ऑपरेटर-10000/-, ब्लॉक एमआईएस कॉर्डिनेटर 15000/- एवं मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों को 7000/- के मासिक मानदेय पर रखा गया था एवं नियुक्ति की शर्तों के आधार पर प्रत्येेक वर्ष राज्य शिक्षा केंद्र में अप्रैल माह में वेतन का निर्धा‍रण किया जाता है और मंहगाई भत्ता प्रचलित दर के अनुसार जोड़कर वेतन का निर्धारण किया जाता है। 

परंतु लगभग 03 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी राज्यं शिक्षा केंद्र ने तमाम आश्वासनों के बाद भी केवल पुराने कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी कर इस बार भी किनारा कर लिया है। डाटा एन्ट्री ऑपरेटर का मानदेय 22140/- कर दिया है और उसमें यह साफ-साफ लिखा है कि नवीन डाटा एन्ट्री ऑपरेटर को छोड़कर। जबकि अगर देखा जाये तो सबसे ज्‍यादा कार्य का बोझ नवनियुक्त डाटा एन्ट्रीप ऑपरेटर पर ही डाल रखा है। क्योंकि जो पुराने हैं वे तो केवल नये के उपर रौब दिखाते हैं। इसके अतिरिक्त् राज्य शिक्षा केंद्र में समयसमय पर नवीन योजनाएं एवं अन्य विभागीय कार्य होने से कार्य का बोझ सबसे ज्यादा नवीन कमर्चारियों पर ही है। 

ऊपर से नियम और शर्तें सारी शासकीय ही हैं। कर्मचारी अपने घर से दूर अकेले इतने कम मानदेय में कार्य कर रहे हैं। जिस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। देखा जाए तो यह मानदेय भृत्य्/चौकीदार 13363/- से भी कम है। जबकि पुराने कर्मचारियों में से किसी ने भी कोई प्रतियोगी परीक्षा उत्ती‍र्ण नहीं की है एवं ऐसे ही जमे हैं।

जबकि अन्य विभागों में जब नियुक्तियां की जाती हैं तो वर्तमान में जो वेतनमान चल रहा होता है उसी पर नवीन नियुक्ति की जाती है। ऐसे में नवीन कर्मचारियों में उनके भविष्य को लेकर संकट खड़ा हो गया है। परिवार चलाना तो दूर वे स्वयं का बोझ ढ़ोने में भी सक्षम नहीं हैं। अगर यही आलम रहा तो अधिकतर कर्मचारी तो ऐसे हैं जो ओवरएज हो गए हैं और पारिवारिक परेशानियों की वजह से अन्य  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी नहीं कर सकते। अत: कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
एक पीड़ित संविदा कर्मचारी द्वारा भोपाल समाचार को भेजा गया ईमेल। 

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