कहीं ताली ठोकते ना रह जाएं नवजोत सिंह सिद्धू

हरिश्चंद्र/चंडीगढ़। भाजपा और राज्यसभा छोड़कर राजनीतिक गलियारों में अचानक सबसे चर्चित हस्ती बने नवजोत सिंह सिद्धू के आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनने की अटकलें अब ठंडी पड़ने लगी हैं। साथ ही आप की ओर से दिखाए ठंडे रिस्पांस ने भी सिद्धू के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। मंगलवार को इस मामले मे दो बड़ी घटनाओं ने इस पर असमंजस पैदा कर दिया है कि सिद्धू का अगला कदम क्या होगा, वह अब किस दल में जाएंगे।

सिद्धू ने जब सोमवार को इस्तीफा दिया, तो सबसे पहले आप नेताओं अरविंद केजरीवाल से लेकर संजय सिंह, सुच्चा सिंह छोटेपुर आदि ने इसका स्वागत किया था। इसी कारण उनके आप में शामिल होने की चर्चाएं भी जोर पकड़ने लगी थीं, जिन पर अगले ही दिन उनकी पत्नी ने आप के कसीदे गढ़ कर मुहर लगा दी थी।

मंगलवार शाम जब केजरीवाल ने कहा कि यह तय नहीं है कि सिद्धू पंजाब में आप के सीएम उम्मीदवार होंगे, तो यह साफ हो गया कि पंजाब के आप नेताओं का दबाव कहीं न कहीं रंग ले आया है। यह नेता नहीं चाहते कि सिद्धू को सीएम कैंडीडेट घोषित किया जाए।

कैप्टन का पैंतरा
दूसरी ओर, कैप्टन अमरिदर ने भी पैंतरा बदल कर सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने की बात कही। सोमवार को अमरिदर ने कहा था कि आप में एक और कॉमेडियन शामिल हो जाएगा, जिसमें पहले से भगवंत मान और गुरप्रीत घुग्गी आदि शामिल हैं, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने सिद्धू के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले होने की बात कह डाली। उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

इससे एक तरह से उन्होंने आप पर यह दबाव बना दिया है कि वह नवजोत को अपना सीएम कैंडीडेट घोषित करे, वरना उसके पास कांग्रेस भी विकल्प हो सकती है। अमरिदर जानते हैं कि सिद्धू को सीएम कैंडीडेट बनाया तो पार्टी में नाराजगी खुलकर सामने आएगी और सीएम पद के जो दावेदार अब तक मेहनत से सूबे में पार्टी का काम कर रहे हैं, उनका जोश ठंडा पड़ जाएगा। इसका निश्चित तौर पर कांग्रेस फायदा उठा सकता है।

खतरे में पड़ सकता है राजनीतिक करियर
यदि अमरिंदर ने संजीदगी से यह बयान दिया है तो इससे सिद्धू के सामने एक अन्य राष्ट्रीय दल का विकल्प खुलेगा, क्योंकि आप के साथ चलकर सत्ता में आना एक जुआ खेलना होगा, जिसमें हार-जीत (सीएम बनना) तय नहीं है। फिलहाल चाहे आप के हक में थोड़ी हवा हो, लेकिन चुनाव के बाद यदि आप सत्ता में नहीं आती, तो सिद्धू का राजनीतिक करियर भी खत्म हो जाएगा। कांग्रेस में जाने पर उन्हें आगे भी उम्मीद रहेगी।

अमरिंदर के करीबी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में यदि सिद्धू आते हैं, तो उनकी चुनाव प्रचार में लोकप्रियता को देखकर चुनाव के बाद किसी अन्य राज्य से राज्यसभा भी भेजा जा सकता है। तीन दिन से सिद्धू मौन हैं, कोई राजनीतिक बयानबाजी उनकी ओर से नहीं हुई है। अब सिद्धू को तय करना है कि वह किस दल का रुख करते हैं और किन शर्तों पर।

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