प्रकट हो उठीं लुप्त हुई सरस्वती नदी, रेगिस्तान में पानी ही पानी

जैसलमेर। पुराने ग्रंथों में दर्ज है कि यहां कभी हरियाली हुआ करती थी। सरस्वती नदी यहीं से कलरव किया करती थी परंतु वो लुप्त हो गई और पूरा इलाका मरुस्थल बन गया। सैंकड़ों सालों से यहां घना रेगिस्तान है परंतु इन दिनों चारों ओर पानी ही पानी है। इतना कि रोके नहीं रुक रहा। कहा जा रहा है कि सरस्वती नदी फिर से प्रकट हो गईं हैं। 

क्या राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले के नाचना अंतर्गत जालूवाला व चारणवाला क्षेत्र में पिछले कुछ समय से लगातार 24 घंटों से कई इलाकों में चमत्कारिक रूप से करीब 600 फीट की गहराई से पानी अपने आप प्रेशर के साथ ऊपर आ रहा है। बगैर किसी मशीन से भू-गर्भ से पानी के ऊपर आने की यह घटना प्रकृति का अजूबा ही है।  

कई ट्यूबवैलों में पिछले कई दिनों से बिना मोटर और बिना किसी मशक्कत के अपने आप पानी निकल रहा है। करीब 50-60 कि.मी. के दायरे में 550 फीट की गहराई पर जाने से ही पानी अपने आप उपर आ रहा हैं वे पानी को रोकने की कोशिश भी कर रहे हैं मगर उसका प्रवाह इतना तेज है कि उसे रोका नहीं जा सकता। रोकने पर पाईप के फटने की स्थिति बन जाती है, इसलिए पानी को पास के खेतों में निकाला जा रहा हैं। पानी मीठा हैं तथा पीने योग्य हैं। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पानी लुप्त हुई सरस्वती नदी का पानी हैं अथवा नहीं यह कहना मुश्किल है। यह सब खोज व विश्लेषण का विषय हैं। पानी में टीडीएस थोड़ा ज्यादा हैं परन्तु पीने योग्य है। इस बात की प्रबल संभावना हैं कि नीचे पानी का बहुत बड़ा विशाल भंडार है।

जहां पर पानी के भण्डार मिले हैं यह क्षेत्र कभी लुप्त हुई सरस्वती नदी का क्षेत्र रह चुका है यह क्षेत्र हनुमानगढ़, कालीबाग, बीकानेर से जुड़ा हुवा क्षेत्र हैं। यहां कभी सरस्वती बहती थी, मगर ये पानी उसी सरस्वती का ही हैं यह सब खोज व जांच का विषय है। 

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