
इसे पहले भी डॉ हरिओम “यारा वे” और “सोचा न था जिंदगी” जैसे बेहतरीन गानों में अपनी आवाज़ का करतब दिखा चुके हैं। अपने इस गाने के बारे में हरिओम कहते हैं, “यह गाना मेरे गाये हुये पिछले दोनों से अलग है। इसमें काफी मुश्किल सुर लगाने थे क्यूंकि गाने की डिमांड ही कुछ ऐसी थी। इसे रिकॉर्ड करने का मेरा एक्सपीरिएंस काफी अलग रहा। लगा ही नहीं कि में कोई गाना गा रहा हूँ। इस गाने के लिए एक बात कहना चाहता हूँ। जिस चीज़ से एक आम आदमी खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है वो हमेशा कामयाब रहती है।
डॉ हरिओम कहते हैं, “मुझे कॉलेज के ज़माने से ही लिखने का बहुत शौक था। लिखना शुरू किया फिर गाना भी शुरू किया और हो सकता है आप फ्यूचर में मुझे कुछ और करते हुए भी देख सकते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं हैं कि आईएएस ऑफिसर गा-बजा नहीं सकता। अपने शौक को मारकर जिंदगी जीना नीरस होता है। जो भी आपका शौक है उसे पूरा कीजिये।”