
ये जानकारी आयकर विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर अबरार अहमद ने बुधवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने कालेधन के खिलाफ मुहिम छेड़ी है। इसके लिए 1 जून से 30 सितंबर तक कोई भी अपनी चल-अचल संपत्ति का विभाग के समक्ष खुलासा कर दे, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद आयकर विभाग ने कालाधन रखने वालों पर मुकदमा चलाने जैसी सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है।
उन्होंने बताया कि बदलती टेक्नोलाजी के दौर में विभाग के पास अब ऐसे संसाधन हैं, जिनके सहारे हमारे पास किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान की 360 डिग्री की प्रोफाइलिंग तैयार हो जाती है। इसकी मदद से कालेधन को ढूंढना बहुत आसान हो जाएगा। अगले 3-4 साल बाद देश के भीतर होने वाला कोई भी ऐसा बड़ा लेनदेन विभाग की नजरों से छिप नहीं सकेगा।
निशाने पर सीए-वकील भी...
उन्होंने बताया कि करदाताओं को टैक्स चोरी के लिए प्रोत्साहित करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट और टैक्स सलाहकार वकीलों पर भी विभाग सख्ती करेगा। उनके रजिस्ट्रेशन आदि निरस्त कराने की कार्रवाई होगी। अब तक कितने लोगों पर कार्रवाई हुई? इस सवाल का जवाब वह टाल गए। उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि काली भेड़ें हर जगह मिल जाती हैं इसलिए ऐसे लोगों पर विभाग एफआईआर दर्ज कराएगा।
इन्हें नहीं मिलेगी सुविधा
उन्होंने बताया कि ऐसे लोग कालेधन को घोषित नहीं कर पाएंगे जिन्हें विभाग नोटिस दे चुका है। कोफेपोसा, नार्कोटिक्स, फेमा अथवा प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत यदि कार्रवाई चल रही है। यदि विभाग को अंधेरे में रखकर ऐसी संपत्ति का खुलासा करता है तो उसका टैक्स जब्त हो जाएगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या ये ज्यादा नहीं है? तो वह बोले-बिल्कुल नहीं, क्योंकि इसमें 30 प्रतिशत टैक्स, 7.5 फीसदी रकम कृषि कल्याण कोष में जाएगी और 7.5 फीसदी पेनाल्टी है। इस तरह कुल 45 प्रतिशत टैक्स देकर काली कमाई को नंबर एक में बदला जा सकता है।
इस मौके पर इन्वेस्टीगेशन विंग के डायरेक्टर जनरल एके जायसवाल, डायरेक्टर आरके पालीवाल, माया माहेश्वरी एवं नीरजा प्रधान सहित अनेक अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने यह भी बताया कि 125 करोड़ की आबादी पर मात्र 5 करोड़ लोग टैक्स देते हैं। यह दायरा भी बढ़ाया जा रहा है।