विदेशी पूंजी निवेश: एक और हसीन सपना

राकेश दुबे@प्रतिदिन। रस्म अदायगी के लिए संघ परिवार से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने भी विदेशी पूंजी निवेश का विरोध कर दिया है| जिन कम्युनिस्ट पार्टियों ने जीएसटी पर सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया, उन्होंने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है| मंत्रिमंडल के फैसले के बाद रक्षा, नागरिक विमानन, पशुपालन एवं कारोबार, ई-कॉमर्स, डीटीएच, केबल नेटवर्क, मोबाइल टीवी तथा प्रसारण सेवाओं में 100 फीसद विदेशी पूंजी निवेश को या सरकारी अनुमति मिल गई है|

रक्षा क्षेत्र में यह भी आवश्यक नहीं होगा कि भारत में निर्माण करने वाली कंपनियां आधुनिक तकनीक हमें दें| इसी तरह, आधुनिक एवं उच्च तकनीक आधारित सिंगल ब्रांड कंपनियों के लिए भारत की ईकाइयों से न्यूनतम खरीदारी करने की शर्त में भी छूट बढ़ाई गई है| इस समय केंद्र में किसी अन्य पार्टी की सरकार होती, तो भाजपा उसके खिलाफ आग उगल रही होती|

समर्थक मानते हैं कि रक्षा निर्माण करने वाली कंपनियां अब भारत में कारखाना लगा सकेंगी, क्योंकि 49 फीसद निवेश के कारण स्वामित्व भारतीय कंपनियों के हाथों में होता और इसी कारण भारत में पूंजी निवेश नहीं हुआ, इससे रोजगार बढ़ेगा एवं हमारे रक्षा आयात का अतिरिक्त व्यय बचेगा|  इसी तरह, पहले से चल रही दवा परियोजनाओं में 74 फीसद निवेश की मंजूरी से बीमार या बंद कंपनियां अपने लिए पूंजी जुटा सकेंगी और उनके पुन: खुलने का रास्ता प्रशस्त होगा| तर्क तो और भी कई दिए जा सकते हैं |नई परियोजनाओं के लिए तो 100 प्रतिशत की मंजूरी है ही. एकल ब्रांड रिटेल में भी एप्पल जैसी कंपनियों के स्टोर खुल सकेंगे तथा विनिर्माण एवं खुदरा कारोबार को बढ़ावा मिलेगा. सभी मामलों में रोजगार वृद्धि का तर्क है |

एफडीआई का समर्थन एवं विरोध दोनों है| इनके बीच से वास्तविकता को तलाशना है| रक्षा को संवेदनशील क्षेत्र कहा जाता है किंतु भारत में बड़ा रक्षा निर्माण कोई निजी कंपनी कर नहीं रही थी| भारत विश्वबाजार का सबसे बड़ा रक्षा खरीदार बना हुआ है| इस निर्णय का पूरी अर्थव्यवस्था पर असर तो होगा ही. क्या इन कदमों के बाद वाकई भारी मात्रा में पूंजीनिवेश होगा? दुनिया की मंदी के कारण कंपनियों में निवेश को लेकर उत्साह की कमी साफ देखी जा रही है| अगर अपेक्षित निवेश नहीं हुआ तो सारी मेहनत एक हसीन सपना साबित होगी|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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