
भारतीय रेलवे के इस नए नियम के बाद जहां करोड़ों रूपये का फायदा हुआ है तो वहीं लाखों पैसेंजरों को आसानी से सीट मिल सकी। इससे पहले, 5-12 साल के बच्चों को सिर्फ आधे टिकट चार्ज पर पूरा बर्थ दे दिया जाता था। आकंड़ों के मुताबिक, जब से इस नियम को लागू किया गया है तब से सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे ने अप्रैल से लेकर अब तक 20 करोड़ रूपये कमाए हैं।
भारतीय रेलवे का इस बदलाव के पीछे क्या था मुख्य मकसद
भारतीय रेलवे की ओर से किये गए इस बदलाव का मकसद था कि एक साल में करीब 2 करोड़ अतिरिक्त कन्फर्म सीटें अन्य यात्रियों को उपलब्ध कराना था। वो भी सरकार के बिना एक भी पैसा खर्च किए हुए। वैसे, एक मकसद और भी था वो यह कि इस फैसले के बाद पैसे की कमी से जूझते रेलवे को मदद मिलेगी और करीब 525 करोड़ रूपय का सालाना फायदा होगा। साल 2014-15 के दौरान 5 से 12 आयु वर्ग के 2.11 करोड़ बच्चों ने हाफ टिकट लेकर पूरे बर्थ पर यात्रा की थी।
बच्चों के लिए हाफ रेट टिकट अभी भी उपलब्ध है लेकिन बिना सीट के
ऐसे बच्चे जिनके हाफ टिकट लिए गए हैं वो अपने माता-पिता के साथ उनके सीट पर सफर कर सकते हैं। जबकि, पांच साल से कम उम्र के बच्चे बिना किसी चार्ज के रेलवे यात्रा का आनंद ले सकते हैं।