गंभीर चुनावी चर्चा के वक्त कुत्ते से खेल रहे थे राहुल गांधी

Bhopal Samachar
गुवाहाटी। असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनेगी। इस कामयाबी के पीछे सीएम कैंडिडेट सर्बानंद सोनोवाल, स्ट्रैटजिस्ट रजत सेठी के अलावा हेमंत बिस्वा सरमा का भी रोल है। हेमंत को चुनाव से पहले कई बार राहुल गांधी से मिलने से रोका गया। इसके बाद वे नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए। इस बार असम के परंपरागत वोटरों और चाय बागानों में काम करने वाले 35 लाख मतदाताओं तक बीजेपी की पहुंच बनाने में उनका हाथ माना जा रहा है। 

कुत्ते से खेलते रहे
असम में 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में सरमा सबसे मजबूत बनकर उभरे थे। इसके बावजूद कांग्रेस से उन्हें तवज्जो नहीं मिली। हेमंत कहते हैं, "सच ये है कि मैंने राहुल गांधी से 8-9 बार बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से ज्यादा अपने कुत्तों के साथ खेलना बेहतर समझा।"

कार्यकर्ताओं को नौकर समझते हैं 
ये हैं वो पालतू कुत्ते जिन्हें कार्यकर्ताओं से ज्यादा महत्व मिलता है
वे बताते हैं, "जब मैं अमित शाह से मिला तो राहुल ने एक सीरियस मैसेज भेजा। मैंने उन्हें रिप्लाई किया- अब आपका समय खत्म हुआ।" सरमा के मुताबिक, "2 साल पहले जब मैंने राहुल को पार्टी के गलत दिशा में जाने की वॉर्निंग दी थी तो वे बोले थे- तो क्या हुआ। सरमा ये भी कहते हैं, "एक बड़ी अपोजिशन पार्टी के रूप में कांग्रेस का कोई फ्यूचर नहीं है। राहुल बहुत घमंडी हैं। जब आप उनसे मिलने जाते हैं तो वे उसे मालिक-नौकर का रिश्ता समझते हैं। ये सही नहीं है। या तो राहुल को बदलना होगा या फिर कांग्रेस बदल जाएगी।"

कहा था- 25 सीट पर सिमट जाएगी कांग्रेस
'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक हेमंत ने बताया, "मैं पिछले साल जुलाई में राहुल से मिला था। मैंने उनसे कहा था कि कांग्रेस 25 सीटों से आगे नहीं निकल पाएगी। आज नतीजा आपके सामने है। उनके मुताबिक, "मैंने राहुल से कहा- आप बुरी तरह हारेंगे। वे बोले- नहीं, हम जीतेंगे। मैंने कहा- देख लीजिएगा।" ये पूछे जाने पर कि इतनी बड़ी जीत की उम्मीद थी, हेमंत कहते हैं, "बीजेपी के पास 60+ सीटें हैं। एजीपी के पास 14 और बीपीएफ के पास 12 अगर हमारे पास 86 सीटें हैं तो सबने अच्छा काम किया।

कभी तरुण गोगोई के करीबी माने जाते थे सरमा
अगस्त 2015 में बीजेपी में जाने से पहले 47 साल के सरमा कभी सीएम गोगोई के करीबी माने जाते थे। बीजेपी में हेमंत की एंट्री के साथ ही असम में पार्टी को दो मजबूत नेता मिले। एक सर्बानंद सोनोवाल, दूसरे हेमंत बिस्वा। सोनोवाल की अगुआई में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को असम में अच्छा रिस्पॉन्स मिला। हेमंत के पार्टी में आने से असम में संगठन और मजबूत हो गया। बड़ी बात ये रही कि हेमंत की असम में खुद की पॉपुलैरिटी एक कांग्रेस नेता होने से कहीं ज्यादा थी। बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया। कैंडिडेट सिलेक्शन में उनका अहम रोल रहा।

कांग्रेस से क्यों दूर हुए हेमंत?
कांग्रेस में किसी को नहीं लगता था कि सरमा कभी पार्टी छोड़ सकते हैं लेकिन इस बीच सीएम गोगोई ने अपने बेटे गौरव को सक्सेसर के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया। कांग्रेस को 3 चुनावों जीत दिलाने वाले हेमंत के पास कांग्रेस छोड़ने के अलावा अब कोई चारा नहीं बचा। सरमा के जाने को भी कांग्रेस ने बहुत सीरियसली नहीं लिया। माना जा रहा है कि सोनोवाल सीएम और सरमा डिप्टी सीएम हो सकते हैं।
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