
यहां आने वाले वाहन चालकों का कोई भी काम हो, बाबुओं से पहले ये एजेंट डील करते हैं और महज 300 से 500 रुपए के अतिरिक्त चार्ज पर काम करने की पूरी गारंटी दे देते हैं। इतना ही नहीं गाड़ियों की फिटनेस जांच भी ये एजेंट खुद ही कर रहे हैं। परिवहन निरीक्षक के पास तो फाइल सिर्फ चिड़िया बिठाने (साइन) के लिए जाती है।
आरटीओ दफ्तर में चारों तरफ दीवारों लिखा है कि आप कैमरे की नजर में हैं। बावजूद इसके यहां पर दलाल खुलेआम फाइलें एक बाबू से दूसरे बाबू के पास ले जा रहे हैं। सोमवार को पड़ताल में सामने आया कि यहां काम कर रहे बाबूओं ने अपनी सहूलियत के हिसाब से एजेंट तैनात कर रखे हैं, जबकि 7 दिन पहले ही परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव के आदेश के बाद आरटीओ संजय तिवारी ने दलालों को दफ्तर के बाहर खदेड़ा था।