तुमने कलेक्टर रेस्टहाउस में घुसने ही क्यों दिया: DFO का प्रभारी को नोटिस

IAS PREETI MAITHIL NAIKE मंडला। मध्य प्रदेश के मंडला में एक वन रक्षक को जिले की नव पदस्थ महिला कलेक्टर के लिए रेस्ट हाउस खोलना महंगा पड़ गया। नवागत कलेक्टर के लिए रेस्ट हाउस खोले के एवज में उसे डीएफओ के नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। डीएफओ ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत माना है। डीएफओ से नोटिस मिलने से वन विश्राम गृह के प्रभारी वनरक्षक के हाथ–पाँव फूल गए है। उसकी तबियत बिगड़ गई है और वो कैमरा का सामना करने से भी डर रहा है।

वन कर्मचारी संघ खुलकर वनरक्षक के पक्ष में खड़ा हो गया है। संघ ने अपनी ही डीएफओ के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन पर कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है।

तत्कालीन मंडला कलेक्टर लोकेश जाटव के रायसेन स्थानांतरण होने के साथ ही नीमच जिले की अपर कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नाईक को मंडला कलेक्टर बनाया गया। श्रीमती प्रीती मैथिल चार्ज लेने मंडला पहुंची चूँकि पूर्व कलेक्टर ने बंगला खाली नहीं किया था लिहाजा वे 13 अप्रैल से 22 अप्रैल तक वन विभाग के विश्राम गृह में रुकी।

दरअसल मंडला में पिछले कुछ समय से यह परंपरा सी बन गई है, फारेस्ट रेस्ट हाउस कलेकट्रेट के नजदीक होने के चलते नवागत कलेक्टर यहाँ रुकना ही पसंद करते है। उनके इस अवधि के दौरान वन विश्राम गृह खोलने को अनुशासनहीनता मानते हुए वन विश्राम गृह के प्रभारी वनरक्षक संतोष दस मानिकपुरी को डीएफओ वेस्ट मिस संध्या ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
वनरक्षक पर आरोप है कि उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियो के निर्देश के बिना रेस्ट हाउस के कमरे खोल दिए। वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बाल सिंह ठाकुर ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए डीएफओ के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर दी है।

कर्मचारियों का कहना है कि डीएफओ मैडम कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। जब जिला कलेक्टर के लिए रूम खोलने पर वनरक्षक को नोटिस मिल सकता है तो इससे डीएफओ मैडम के कार्यप्रणाली का अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है। संघ का यह भी कहना कि कमरे डीएफओ के स्टेनो आरक्षित करते है। ये कैसे मुमकिन है कि कोई कलेक्टर वनरक्षक से रेस्ट हाउस खोलने को कहे। यकीनन वरिष्ठ अधिकारियों ने कलेक्टर मैडम के आने और यहाँ रुकने के लिए रेस्ट हाउस प्रभारी को मौखिक निर्देश दिए होंगे। इस मामले में बेवजह प्रभारी को दोषी ठहराया जा रहा है। वन कर्मचारी संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन सौप कर न्याय की गुहार लगाईं है।

वन कर्मचारी संघ भले ही खुलकर वनरक्षक के समर्थन में उतर आया है लेकिन इसके बावजूद वनरक्षक का डर ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। नोटिस के मिलने से उसकी स्थिति असामान्य हो गई है। वह इतना डरा हुआ है कि कैमरा के सामने बात करना तो दूर वह रुकने से भी कतरा रहा है। पहली नज़र में भले ही यह मामला कुछ अटपटा लग रहा हो कि जिला कलेक्टर के रेस्ट हाउस में रुकने पर भला किसको एतराज़ हो सकता है।

लेकिन सूत्र इसके पीछे कुछ और ही कहानी बताते हुए इसे डीएफओ मैडम के एहम का मुद्दा बता रहे है। यदि सूत्रों पर यकीन करे तो टी एल की बैठक में कलेक्टर मैडम ने डीएफओ मैडम को किसी बात पर सबके सामे फटकार लगा दी थी जो शायद उन्हें नगवार गुजरा। कलेक्टर का गुस्सा उनके रेस्ट हाउस छोड़ते ही डीएफओ मैडम ने वहां के प्रभारी वनरक्षक पर फोड़ दिया है। बहरहाल सच्चाई जो भी हो लेकिन यह मुद्दा जिले के प्रशासनिक गलियारे में चर्चा का विषय बन गया है।

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