मप्र में भ्रष्ट अफसरों को घर जैसा आराम

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने भाषणों में भले ही कुछ भी कहते रहें लेकिन दस्तावेज गवाह हैं कि मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों को घर जैसा आराम दिया जाता है। यहां उनकी पूरी देखभाल होती है। सरकार चिंता करती है कि कहीं उन्हें कोई कष्ट ना हो। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना हो जाए। यही कारण है कि मप्र में 400 भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी आराम से रह रहे हैं। जांच पूरी हो गई है, दोषी पाए गए हैं। लोकायुक्त सरकार के आदेश का इंतजार कर परंतु सरकार एक भी भ्रष्ट अधिकारी को नाराज नहीं करती। आप जानकर चौंक जाएंगे कि 22 भ्रष्ट अधिकारी तो रिटायर तक हो गए लेकिन सरकार ने अभियोजना की स्वीकृति नहीं दी। उल्टा रिटायरमेंट के बाद उन्हें सारे लाभ दिए जा रहे हैं। 

शासन को आर्थिक नुकसान
जिन 22 मामलों में विभागों ने अपने अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं की, वे सभी मामले आर्थिक अपराध से जुड़े थे। जांच में लोकायुक्त ने पाया था कि अधिकारियों-कर्मचारियों ने जानबूझकर लापरवाही की। ऐसे मामलों में फाइलें ही दबा दी गईं। इन 22 मामलों में अधिकारियों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाया व वहां से मोटा कमीशन लेकर खुद भी पैसा कमाया।

मंत्रियों और नेताओं के भी 187 मामले
लोकायुक्त में वर्ष 1982 से 2014 तक राजनेताओं के भी 187 मामले जांच के बाद दर्ज हुए। इनमें से भी 21 मामलों में लोकायुक्त ने जांच पूरी कर रिपोर्ट भेज दी है। 

छोटे कर्मचारियों पर दनादन कार्रवाई 
इधर इस दौरान विभागों ने भी 2957 राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज करवाया, तो वहीं 2175 गैर राजपत्रित कर्मचारियों के खिलाफ भी दर्ज है। कोर्ट में 913 मामले लंबित हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!