भोपाल। नदी, तालाब, कुओं, बावड़ियों के सूखने के बीच गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे किसानों की तकलीफ बंद नल-जल योजनाओं ने बढ़ा दी है, जिससे निजात की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। ये विडंबना भी कम नहीं कि इन्हें शुरू करने के लिए 100 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं, बिजली बिल चुकाने के लिए 188 करोड़ भी जारी हो चुके हैं। दावा ये भी है कि जरूरत पड़ी तो 500 करोड़ तक दिया जा सकता हैं... तो गांवों में पानी पहुंचने में रोड़ा क्या है?
मप्र के हजारों गांवों की इस तकलीफ की जड़ में है सरकारी व्यवस्था की आड़ में दो विभागों के बीच चल रही है रस्साकशी। ये हैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग। बंद पड़ी नल-जल योजनाओं को शुरू करने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ने पंचायत विभाग को 100 करोड़ रुपए इस उम्मीद में दिए कि योजनाएं शुरू हो जाएंगी और गर्मी के सीजन में कोई तकलीफ नहीं होगी, पर हालात जस के तस हैं। पंचायत विभाग ने पहले बजट की कमी बताई, फिर योजनाओं के हस्तांतरण और एमओयू न होने का मामला उठा दिया।