बलबीर सिंह/ग्वालियर। व्यापमं घोटाले में सीबीआई की सुस्त चाल ने कोर्ट की रफ्तार भी रोक दी है। सीबीआई आठ महीने में कोर्ट को इतना भी नहीं बता सकी कि उसने इन दिनों में क्या जांच की? जबकि कोर्ट प्रगति रिपोर्ट जानने के लिए सीबीआई को छह पत्र लिख चुकी है।
सीबीआई को मामला सौंपने के बाद हालात ऐसे हैं कि सभी मामलों की सुनवाई रुक गई है और 90 दिन में चालान पेश न करने के कारण आरोपियों को जमानत पर छोड़ना पड़ा है। उम्मीद के विपरीत सीबीआई से कोर्ट को एक ही जवाब मिल रहा है- जांच चल रही है।
ऐसी जांच की कि मिल गई जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं मामला सीबीआई को सौंपने के साथ ही स्पष्ट कहा था कि जिन केसों की सुनवाई शुरू हो चुकी है, उन्हें भी सीबीआई ही पूरा करेगी। अभी तक सीबीआई ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि व्यापमं के पूर्व निदेशक योगेश उपरीत, एमएस जौहरी, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य गुलाब सिंह किरार के बेटे का एडमिशन कराने वाले नवीन शर्मा को जमानत पर छोड़ना पड़ा क्योंकि सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद तय 90 दिनों में चालान पेश नहीं किए।
एसआईटी का रिकॉर्ड बेहतर
इससे पहले एसआईटी ने अलग-अलग परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े को लेकर ग्वालियर में 56 केस दर्ज किए थे। 32 केसों के अपराधियों से पूछताछ कर वर्ष 2014 में कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। इसके बाद विशेष कोर्ट में इन केसों की ट्रायल शुरू हो गई थी। एसआईटी ने आरक्षक भर्ती व वन रक्षक के केसों में गवाही करा दी थी और पीएमटी कांड के दो केसों में गवाही शुरू हो गई थी।
सीबीआई और एसआईटी की जांच में फर्क
एसआईटी का गठन हाई कोर्ट के निर्देश पर हुआ था। एसआईटी को रोज हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी पड़ती थी और जांच की समीक्षा की जाती थी। सीबीआई की जांच की निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जिन जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था, उन याचिकाओं की सुनवाई पर स्टेटस फाइल किया जाता है। इसके चलते जांच की गति धीमी है।
ट्रायल के लिए बनी विशेष कोर्ट को भी सीबीआई ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। कोर्ट ने जांच का स्टेटस जानने के लिए कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी, लेकिन सीबीआई ने उसे नजरअंदाज कर दिया। राहुल यादव के सप्लीमेंट्री केस में पेश जवाब में सीबीआई ने कहा है कि जिला कोर्ट को उसे आदेश देने का अधिकार नहीं है।
पहले यह था बहाना, वह भी खत्म
सीबीआई अपने विशेष लोक अभियोजक नियुक्त न होने का हवाला देकर विशेष सत्र न्यायालय में स्टेटस फाइल करने से बचती रही। हालांकि अधिवक्ताओं की नियुक्ति भी डेढ़ महीने पहले हो चुकी है, फिर भी हालात वही हैं।
- बड़े केसों की यह स्थिति
- अपराध क्र. 285 में हाई प्रोफाइल आरोपी। वे फर्जी छात्र हैं, जिन्होंने काले गोले लगाकर टॉप किया था। सीबीआई ने नई एफआईआर दर्ज की, पर स्टेटस नहीं बता रही।
- अपराध क्र. 449 में सबसे ज्यादा 276 आरोपी। सीबीआई का एक ही जवाब है कि अभी जांच चल रही है। कोर्ट मूल दस्तावेज व रिपोर्ट मांग रही है।
- अपराध क्र. 138 में पीएमटी कांड के 153 आरोपी। इसमें भी यही स्थिति। चालान आने के बाद से कोर्ट में 19 तारीखें लगीं, लेकिन आरोप तय नहीं हो सके।
- दीपक यादव की प्री-पीजी के मामले में विशेष कोर्ट में ट्रायल शुरू। सीबीआई के पास केस जाने के बाद से सिर्फ तारीखें लग रही हैं।
- वनरक्षक व पुलिस भर्ती के छोटे केस थे, लेकिन प्रोग्रेस रिपोर्ट सीबीआई पेश नहीं कर पाई।