मप्र में अब प्राइवेट यूनिवर्सिटी घोटाला: CAG रिपोर्ट में खुलासा

भोपाल। मध्यप्रदेश में संचालित सात निजी विश्वविद्यालयों पर उच्च शिक्षा विभाग इस कदर मेहरबान हुआ कि दो को बिना यूजीसी ऑडिट के ही शुरू करने की अनुमति दे डाली, वहीं पांच के लिए अपने ही बनाए नियमों को दरकिनार कर अनुमति दे दी, जबकि कई निजी विश्वविद्यालयों के पास न तो मानक के अनुसार जमीनें थीं और ना ही विवि खोलने की कई जरूरी शर्तों को पूरा किया गया था।

ये खुलासा हुआ कैग की ताजा रिपोर्ट में। रिपोर्ट बताती है कि उच्च शिक्षा विभाग के साथ-साथ इन निजी विश्वविद्यालयों की कई अनियमितताएं सामने आईं हैं। निजी विवि के स्थापना के लिए सरकार द्वारा गठित की गई मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (मप्रनिविविआ) की कार्यशैली पर कैग ने कई सवाल खड़े किए हैं। 

20 हेक्टेयर से कम जमीन पर कर दी अनुशंसा
रिपोर्ट के अनुसार सात निजी विवि में से छह के पास नियमानुसार 20 हेक्टेयर भूमि नहीं थी, लेकिन विनियामक आयोग ने राज्य सरकार को प्रतिवेदन में इन छह निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की अनुशंसा की, वहीं कई कमियों को दूर करने के विभाग के निर्देशों को अनसुना कर संस्थाओं ने विवि की स्थापना कर ली।

यही नहीं राजधानी की आयुष्मति एजुकेशन एंड सोशल सोसायटी को तो दो आवश्यक दस्तावेजों के जमा किए बिना ही विवि स्थापना की अनुमति दी गई, जबकि कई शर्तों का पालन नहीं हुआ था। कैग ने जब इस तरह की लापरवाही पर सवाल किए तो विभाग ने कहा कि जरूरी दस्तावेज बाद में जमा करा लिए गए थे।

यूजीसी के ऑडिट की चिंता नहीं
निजी विवि की स्थापना के लिए अधिनियम की धारा 8(5) के अनुसार यूजीसी का निरीक्षण जरूरी है। इसके लिए आवेदन पर यूजीसी अधिकतम तीन माह में जवाब देती है। इस अवधि में जवाब न मिलने पर राज्य सरकार निर्णय ले सकती है, लेकिन सत्य सांई प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय सीहोर ने निरीक्षण के लिए यूजीसी को जुलाई 2013 में आवेदन किया था, पर तीन महीने तक इंतजार के बजाय विभाग ने सिंतबर में ही निजी विश्वविद्यालय की स्थापना की अनुमति दे दी। गुना स्थित जेपी यूनिवर्सिटी की स्थापना अप्रैल 2010 में की गई, जबकि यूजीसी को आवेदन जुलाई 2010 में दिया गया। 

प्रावधानों का उल्लघंन कर शुरू कर दी क्लासेस
रिपोर्ट के अनुसार अधिनियम की धारा 7(चार)(ड) के साथ धारा-35 के अनुसार संबंधित नियमों तथा अध्यादेशों के अनुमोदन होने तक विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के प्रवेश व कक्षाओं के संचालन की अनुमति नहीं थी, इसके बावजूद सात निजी विश्वविद्यालयों पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू कर दिए गए। वहीं प्रावधानों का उल्लघंन पर मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग चुप रहा और किसी पर भी कार्रवाई नहीं की। 

  • ये खामियां भी आईं सामने 
  • आय-व्यय से जुड़ी निधि का विनियामक आयोग से ऑडिट नहीं कराया।
  • विनियामक आयोग ने निजी विवि के खिलाफ शिकायतों का रिकॉर्ड नहीं रखा।
  • यूजीसी की ऑडिट में कमियों को दूर कराने में भी विनियामक आयोग सफल नहीं रहा।
  • निजी विवि को छात्रों से एकत्रित फीस का एक प्रतिशत विनियामक आयोग को देना था, लेकिन इसमें भी कई खामियां बरती गई। कई विवि ने समय पर पैसा जमा नहीं किया बावजूद उनसे अतिरिक्त ब्याज नहीं भी नहीं लिया। 

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