पुरुषों का सम्मान बचाने कानून बनाइए: कोर्ट

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। एक अदालत ने कहा है कि अब समय आ गया है कि बलात्कार के झूठे आरोपों का सामना कर रहे पुरुषों की सुरक्षा और उनकी प्रतिष्ठा बहाल किए जाने के लिए कानून बनाए जाएं, क्योंकि हर कोई सिर्फ महिलाओं का सम्मान बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहा है.

कानून का दुरुपयोग 
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निवेदिता अनिल शर्मा ने दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी करते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जा रहे हैं और उनमें से कुछ का दुरुपयोग हो सकता है और कोई भी किसी पुरुष के सम्मान और गरिमा की बात नहीं करता. इसके साथ ही अदालत ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया जिस पर पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में 2013 में पहचान वाली एक महिला के साथ दुष्कर्म करने का आरोप था.

गरिमा को नुकसान की भरपाई मुश्किल 
अदालत ने कहा कि न सिर्फ आरोपी की प्रतिष्ठा और गरिमा को बहाल करना बल्कि अपमान, दुख, संकट और मौद्रिक नुकसान की भरपाई करना काफी मुश्किल हो सकता है. लेकिन बरी किए जाने से उसे कुछ सांत्वना मिल सकती है और वह नुकसान के लिए मामला दर्ज करा सकता है.

पुरुषों के लिए बनें कानून
न्यायाधीश ने कहा, 'कोई भी पुरुष के सम्मान और गरिमा की बात नहीं करता और हर कोई महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा के लिए संघर्ष कर रहा है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बने जिनका कोई महिला दुरुपयोग कर सकती है लेकिन ऐसी महिलाओं से पुरुषों के बचाव के लिए कानून कहां हैं. शायद अब समय आ गया है कि ऐसे मामलों के भुक्तभोगी पुरुषों के बचाव के लिए कानून बनाया जाएं.' अदालत ने कहा कि इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि इस मामले के कारण व्यक्ति को अपमान, दुख और समस्या का सामना करना पड़ा. साथ ही उसे मुकदमे का खर्च भी उठाना पड़ा.

पीड़िता पर उठे सवाल
अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि आरोपी को खासा समय तक जेल में भी रहना पड़ा. अभियोजन के अनुसार महिला ने आरोप लगाया था कि उस व्यक्ति ने अक्टूबर 2013 में उसके साथ दुष्कर्म किया था. उसके साथ डेढ़ साल पहले भी दुष्कर्म हुआ था जिसमें उस व्यक्ति को साकेत अदालत ने बरी कर दिया था.

सहमति से बने थे संबंध 
सुनवाई के दौरान व्यक्ति ने दावा किया कि वह निर्दोष है और वह पिछले पांच साल से महिला को जानता है तथा महिला उससे पैसे ऐंठने की कोशिश कर रही थी. उसने यह भी कहा कि उन दोनों के शारीरिक संबंध आपसी सहमति के आधार पर बने थे.

अदालत ने उस व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि महिला के बयान में कई विरोधाभास हैं और बयान विश्वसनीय भी नहीं हैं.
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