
लंबी जांच के बाद हाल ही में सिविल लाइन पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि एसपी दफ्तर के चार वरिष्ठ लिपिकों के खिलाफ एसपी डॉ. आशीष ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक इस जांच में जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी भी आरोपी बनाए जा सकते हैं।
ऐसे हुआ खुलासा
अक्टूबर 2014 में एक गन लाइसेंस के आवेदन को लेकर कुछ आवेदकों ने शिकायत की थी कि अखिलेश मसीम उर्फ चौहान नाम के युवक ने खुद को पुलिस कर्मी बताकर उनसे पैसा लिया था लेकिन किसी का भी लाइसेंस नहीं बना। जिसके बाद आनन-फानन में जांच हुई और सिविल लाइन पुलिस ने बाई का बगीचा इलाके में रहने वाले अखिलेश को धारा 420 के तहत गिरफ्तार कर लिया था। इसी के साथ एसपी डॉ. आशीष ने एएसपी स्तर के अफसर को जांच के निर्देश दिए थे।
ऐसे करता था फर्जीवाड़ा
जांच के दौरान पता चला कि अखिलेश मसीह उर्फ चौहान पुलिस कर्मी नहीं बल्कि पुलिस विभाग के कुछ कर्मचारियों से पहचान होने के कारण उसने एसपी ऑफिस में आना-जाना शुरू किया। अर्दली बनकर चौहान एसपी ऑफिस के कर्मचारियों के कामकाज करता था। फाइलों को एसपी के रीडर-स्टेनों शाखा तक लाते ले जाते वक्त अखिलेश ने एसपी के साइन पहचान लिए। बाद में कुछ खराब कागजातों को गुपचुप रख लिया और घर में लंबे समय तक तत्कालीन व वर्तमान एसपी के साइन करने की प्रेक्टिस की।
तीन सालों का रिकॉर्ड खंगाला
जांच के दौरान तीन सालों का रिकॉर्ड खंगाला गया। जिसमें साल 2012 के 502, 2013 के 237 और 2014 के 172 शस्त्र आवेदनों की जांच हुई। जिसमें पता चला कि 16 ऐसे आवेदन थे, जिसमें तत्कालीन एसपी ने नॉट रिकमंड लिखकर भेज दिया था लेकिन अखिलेश ने फर्जी सील और हार्ड कॉपी को हटाकर प्रतिलिपी में फर्जी साइन बनाकर आगे बढ़ा दिया जिन्हें जिला प्रशासन के शस्त्र विभाग ने अग्रेषित कर दिया और सभी लाइसेंस गृह मंत्रालय पहुंचकर जारी हो गए।
दोबारा हुई गिरफ्तारी, भेजा गया जेल
विभागीय जांच के बाद 1 जनवरी को सिविल लाइन पुलिस ने अखिलेश मसीह उर्फ चौहान के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत अपराध दर्ज कर उसे दोबारा गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
चार पुलिस कर्मी संदेह के घेरे में
अखिलेश मसीह उर्फ चौहान के इस फर्जीवाड़े में सहयोग देने के संदेह में एसपी कार्यालय के लिपिक एजाज खान, केएल कुढ़ापे, शशि अहिरवार और राधेश्याम तिवारी के खिलाफ एसपी डॉ. आशीष विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा कलेक्ट्रेट स्थित शस्त्र शाखा के भी कुछ कर्मचारियों पर संदेह है।
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फर्जी गन लाइसेंस के मामले में जांच कराई गई थी, जिसमें 16 ऐसे प्रकरण सामने आए हैं जो फर्जी तरीके से बनाए गए हैं। आरोपी के खिलाफ दोबारा एफआईआर करके उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में विभाग के चार कर्मचारियों पर लापरवाही बरतने के साथ उनकी भूमिका को लेकर जांच शुरू करा दी गई है।
डॉ. आशीष, एसपी