
'राम' लिखना सीखा
कुसुमा ने दूसरे कैदियों की मदद से 'राम' लिखना सीख लिया है. अब वो खाली समय में कॉपी में बैठकर राम-राम लिखा करती हैं. उनकी दिनचर्या में राम नाम जपना और गीता-रामायण सुनना शामिल है. उनका कहना है कि ऐसा करने से शायद जीवन भर किए पाप कम हो जाएं.
चंबल और कानपुर देहात के आसपास कभी कुसुमा नाइन का आतंक था. वो जिंदा लोगों की आंखें निकाल लिया करती थीं. करीब दो दशकों तक पुलिस और लोगों के लिए आफत बन चुकीं कुसुमा नाइन के ऊपर कई मामले दर्ज हैं.
डकैतों के गुरू करते हैं मानसिक इलाज
चंबल में कभी डकैतों के गुरू रहे राम आसरे तिवारी उर्फ फक्कड़ बाबा भी जेल में बंद हैं. उनको आदर्श कैदी कहा जाता है. उनके पास काम है कि जेल में आए कैदियों का मानसिक इलाज करना है. कह जाता है कि कुसुमा नाइन को उन्होंने ही गीता और रामायण कि किताबें पढ़ने के लिए दी थी. फक्कड़ बाबा को प्रशासन सम्मानित कर चुका है.