शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा आदेश पारित किया है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को गोवध पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का आदेश दिया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस संदर्भ में तीन महीने के भीतर कानून बनाया जाए।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने भारतीय गोवंश संवर्धन की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार गोमांस के आयात-निर्यात व बिक्री पर रोक लगाने के लिए अपने विवेक के अनुसार कानून बनाए। यही नहीं, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी राज्यों को गोवंश के सवंर्धन व देखभाल के लिए उचित फंड मुहैया करवाने के निर्देश भी दिए।
मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी। न्यायमूर्ति शर्मा व न्यायमूर्ति ठाकुर की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 25 का जिक्र करते हुए कहा कि गाय और उनके बछड़ों के बीफ के लिए उनके मांस का आयात-निर्यात की कानूनन अनुमति नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इस आदेश की अनुपालना को लेकर अदालत के सामने शपथ पत्र दाखिल करने के लिए भी कहा है।
इससे पहले न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की ही पीठ राज्य में परित्यक्त गायों के लिए गोशालाओं के निर्माण के भी निर्देश दे चुकी है। अपने पूर्व के निर्देश में उनकी पीठ ने राज्य सरकार से सरकारी खर्चे पर हर ब्लाक में गोशाला निर्माण के साथ-साथ ये भी कहा था कि सड़कों के किनारे घूमने वाले परित्यक्त पशुओं को ऐसी गोशालाओं में रखा जाए और उनकी सेहत का भी समय-समय पर निरीक्षण किया जाए।
मुख्य सचिव को आदेश, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए
हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि सड़क किनारे घूम रहे आवारा पशुओं को गोशालाओं तक न पहुंचाने पर लोक निर्माण विभाग और अन्य संबंधित विभागों के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट ने पिछले आदेश में राज्य सरकार को कहा था कि कोई भी पशु आवारा तौर पर सड़कों पर नजर न आए। सभी के लिए पशुशालाएं बनाई जाएं। हाईकोर्ट ने पाया है कि इन आदेशों का पूरा पालन नहीं हुआ है। ऐसे में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।