प्रिय शिवराज, अब क्या करें, तुम्ही बता दो

राकेश कुमार। हे शिवराज, आप तो नीति नियंता हैं और भाग्य विधाता भी। आप जो कहें सब सही, आप जो करें सब सही। अध्यापकों को हाईकोर्ट का डर दिखाया, कार्रवाई का डंडा चलवाया, महिला अध्यापकों के बाल पकड़कर उन्हें बसों में ठूंसा गया। आधीरात को बिना महिला पुलिस के महिला अध्यापकों को हिरासत में लिया गया। इससे पहले लाठियां भी चलवाईं। सरकार दफ्तर में वार्ता के लिए बुलाया और गिरफ्तार कर लिया। हमारे गांव में ऐस दोगलापन कहते हैं परंतु आपके राज्य में यही राज्यनीति है। शायद ऐसा ही न्याय होता है।

आपने पूरे प्रदेश की पुलिस को अध्यापकों के पीछे दौड़ा दिया था। किसी को घर से ही उठा लिया गया तो किसी को रास्ते से। रेलों में, बसों में पुलिस अध्यापकों को ऐसे तलाश रही थी मानो आतंकवादी हों। ईद के नाम पर संवेदनशीलता का डर दिखाया गया, यह जाने बिना कि तिरंगा हाथ में उठाए चल रहे अध्यापकों में मुसलमान भी हैं। वो अपनी ईद छोड़कर आए हैं। कुछ मुसलमान अध्यापकों को जेल में ठूंस दिया गया। उनकी ईद पता नहीं किसने खराब की। हम कश्मीर में नहीं, भोपाल में आए थे। मुसलमानों का विरोध करने नहीं, आपके कान भरने वाले अधिकारियों का विरोध करने आए थे। फिर कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब कैसे हो सकती थी। कहीं अधिकारियों ने आपको मिसगाइड तो नहीं किया। भोपाल की सीमाएं सील कर दी गईं, फिर भी अध्यापकों ने तिरंगा लहराया। इसलिए नहीं कि हमारी आपसे कोई प्रति​योगिता थी, बल्कि इसलिए कि हमारा दर्द जायज है।

शाम को आपने भी माना कि हमारा दर्द जायज है। 6वां वेतनमान जब सारे कर्मचारियों को एक मुश्त मिला तो हमें किश्तों में क्यों। वो नेता जो एक टिकिट के लिए बिक गए, उनके वादों और आश्वासनों को हम क्यों निभाएं। जो मप्र के कर्मचारी वर्ग के साथ निभाया जा रहा है वो हमारे साथ भी निभाइए। क्या चांंद मांग लिया है हमने जो आप दे नहीं पा रहे। यदि आपकी सरकार अपने ही कर्मचारियों को पालने में नाकाम है तो स्पष्ट कर दीजिए। यदि खजाना खाली हो गया है तो बताइए, हम अपने एक माह का वेतन दान कर देंगे, चाहिए तो एक साल का दे देंगे परंतु 6वां वेतनमान हमारा अधिकार है वो कैसे छोड़ दें।

आपने कहा कि हमारे आंदोलन का तरीका गलत है। चलिए मान लेते हैं। आज शनिवार है। पूरा दिन है आपके पास। शाम तक अच्छी तरह से विचार करके बताइए। आप हमारे नेता होते तो क्या करते। इस आंदोलन का अगला चरण क्या होना चाहिए। इंतजार तो इतने सालों से करते आ रहे हैं। अब नहीं कर सकते। आंदोलन हर हाल में जारी रहेगा, अब आप ही बताइए, इसका सही तरीका क्या होगा। यदि नहीं बताएंगे कि अध्यापक मिसगाइड हो जाएंगे, फिर मत कहिएगा कि किसी ने हमें बहका दिया है।

जयराम जी की
राकेश कुमार, शिवपुरी मप्र
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