ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शिक्षा माफिया मामले में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस कर फटकार लगाई है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि सीबीएसई के स्कूलों में एनसीईआरटी और माशिमं के स्कूलों में मप्र पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों से ही पढ़ाई करवाई जाए, बावजूद इसके प्राइवेट स्कूलों ने प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ाई जा रहीं हैं। प्राइवेट स्कूल इस तरह की किताबें केवल अपना कमीशन बनाने के लिए चलाते हैं। नोटिस आयुक्त शिक्षा विभाग के नाम भी जारी हुआ है।
न्यायमूर्ति यूसी माहेश्वरी तथा न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की युगलपीठ ने पूर्व में विजय तिवारी की जनहित याचिका का निराकरण करते हुये आदेश दिया था कि सीबीएससी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें तथा एमपी बोर्ड स्कूलों में मप्र पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों से पढ़ाई करायें। इस संबंध में 45 दिन में याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय करने के आदेश दिये थे। इस आदेश का पालन न होने पर एड्वोकेट राजा गिर्राज शर्मा के माध्यम से रविन्द्र कुमार शर्मा द्वारा यह अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई, जिसमें उक्त निर्देष दिये गये हैं।
बताया गया कि प्रायवेट विद्यालयों में अनावश्यक किताबें बच्चों से मंगवाई जाती हैं, जिससे बच्चों पर बस्ते का बोझ और आर्थिक परेशानी बढ़ती है तथा रीड की हड्डी पर दुष्प्रर्भाव पड़ता है। सबसे ज्यादा उनके मन पर प्रभाव पड़ता है, एड्वोकेट राजा शर्मा का कहना था कि एलकेजी, यूकेजी से लेकर कक्षा 5 तक कई विद्यालयों में 15 से 16 किताबें अलग से मंगवाई जाती हैं, यह बच्चों पर प्रताड़ना हैं। याचिका में निवेदन किया कि बच्चों पर पुस्तकों का बोझ कम किया जाये।