जबलपुर। अपने मृत कर्मियों के परिवार के साथ बिजली कंपनियां 17 वर्ष बाद भी अनुकंपा नियुक्तियों के मामले में न्याय नहीं कर रहीं। डेढ़ दशक से अधिक समय बाद कंपनी ने आश्रितों को नियुक्ति देने का रास्ता तो खोला, लेकिन उसमें शर्तों के इतने रोडे अटका दिए हैं कि हर कोई इन शर्तों को पूरा नहीं कर सकता और ऐसी स्थिति में उस आश्रित को नौकरी भी नहीं मिलेगी हाल ही में कंपनी ने 142 आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी है और 560 आश्रितों को आश्वासन पत्र दिए गए हैं जबकि सभी बिजली कंपनियों में पांच हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं।
आश्रितों का कहना है कि कंपनी ने आश्वासन पत्र में शर्तों की लंबी फेहरिस्त तैयार करके दी है जिनकी पूर्ति कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है नियुक्ति के लिए सबसे बड़ी शर्त आईटीआई डिप्लोमा करने की है जिसमें 80 हजार से 1 लाख रुपए का खर्चा आ रहा है और इतना पैसा खर्च करने की स्थिति में आश्रित नहीं हैं।
100 से अधिक ज्ञापन 3 साल से धरना
संघर्ष दल ने इस मामले को लेकर अब तक करीब सौ ज्ञापन दिए हैं ये ज्ञापन कंपनी के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, प्रमुख ऊर्जा सचिव एवं सीएमडी को दिए गए इस रवैए से तंग आकर दल ने शक्ति भवन के बाहर बेमियादी धरना शुरू किया जो पिछले 910 दिन से चल रहा है।
यह है मामला
विद्युत मंडल ने 1998 में मौखिक आदेश देकर मृत कर्मियों के आश्रितों को नौकरी देने पर रोक लगा दी थी इसके बाद सितंबर 2000 में आदेश जारी कर यह रोक लगाई गई वहीं अब कंपनियों ने सितंबर 2000 के बाद से दुघर्टना में मृत कर्मियों के आश्रितों को नौकरी देने का फैसला किया, जिसके दायरे में कंपनी ने 979 लोगों को ही रखा है जिसमें 142 को नियुक्ति दे दी गई है जबकि बाकी लोगों को आश्वासन पत्र दिए हैं वहीं 1998 से 2000 के बीच में सैकड़ों कर्मचारी ड्यूटी के वक्त मृत हुए हैं कंपनियां उन्हें इस दायरे में नहीं ला रहीं।
मप्र में ही ऐसे नियम
आश्रित संघर्ष दल ने बीते दिनों सभी कंपनियों के अधिकारियों से मुलाकात कर यह भी कहा, कि छत्तीसगढ़ एवं दूसरे राज्यों में ऐसे प्रावधान नहीं है कि आईटीआई डिप्लोमा के बाद ही अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी वहां योग्यता के आधार पर दूसरे पदों पर भी नियुक्तियां दी जा रही हैं फिर सिर्फ मप्र में ही ऐसे नियमों का हवाला देकर क्यों आश्रितों से छलावा किया जा रहा है।
किस कंपनी के कितने मृतक
कंपनी -॥- मृत कर्मी ।
मप्र पॉवर जनरेटिंग -॥-४५७।
मप्र पॉवर ट्रांसमिशन-॥-३०२
मप्र पूर्व क्षेत्र वितरण -॥-२१८७।
मप्र पॉवर मैनेजमेंट -॥-०६।
मप्र मध्य क्षेत्र वितरण -॥-१०६०।
मप्र पश्चिम क्षेत्र वितरण -॥-१३८५ ।
(1 सितंबर 2000 से अक्टूबर 2014 का रिकार्ड)। बिजली कंपनियां आश्रितों को अनुकंपा नियुक्तियां देना नहीं चाहती, इसलिए उन्होंने शर्तों को ढेर खड़ा कर दिया है, लेकिन हम लोग भी हर हाल में न्याय हासिल करके रहेंगे
असगर खान
संयोजक, मप्र विद्युत मंडल अनुकंपा आश्रित संघर्ष दल