उत्तरप्रदेश की एक लैब ने एक जांच रिपोर्ट क्या बना दी, लोगों ने लात मार मारकर मैगी को देश से निकाल दिया। दूसरी किसी जांच रिपोर्ट का इंतजार ही नहीं किया। किसी दलील को नहीं सुना गया। अब भारत के केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान ने मैगी के सैंपल को खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरा पाया है। यह संस्थान भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा स्वीकृत है।
केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान (CFTRI) ने गोवा खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा भेजे गए मैगी नूडल्स के पांच सैंपल का परीक्षण किया। इसमें सभी सैंपल खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे पाए गए हैं।
बताते चलें कि मई के आखिर में यूपी में मैगी के सैंपल में तय मात्रा से अधिक लैड पाए जाने के बाद पाबंदी लगाई गई थी। इसके बाद देखते ही देखते एक के बाद एक कई राज्यों ने मैगी पर रोक लगा दी गई। 5 जून को देश भर में मैगी पर पाबंदी लगा दी गई थी।
मैगी पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ था. इसके ब्रांड एम्सेबेडर अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित तक पर कोर्ट केस कर दिया गया। मैगी बनाने वाली नेस्ले को इस रोक के चलते दूसरी तिमाही में 64 करोड़ से ज्यादा का नुकसान भी हुआ।
अब सेंट्रल फूड टेक्नोलोजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की क्लिन चिट के बाद नेस्ले को दोबारा बाजार में उतरने और छाने की उम्मीद तो बंधी ही है. नेस्ले इंडिया के नए मुखिया सुरेश नारायणन ने साफ कह दिया था कि बहुत जल्द मैगी लोगों के घर में लौटेगी।
गौरतलब है कि नेस्ले इंडिया ने बांबे हाई कोर्ट में कहा था कि वह अपने प्रोडक्ट के स्वतंत्र लैब में टेस्ट कराने के लिए तैयार है, बशर्ते कि ये टेस्ट प्रतिष्ठित वैज्ञानिक की मौजूदगी में किए जाएं. नेस्ले ने बांबे हाई कोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दायर की थी.