मप्र में छात्रसंघ चुनाव अधर में

भोपाल। मप्र में जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तब एबीवीपी छात्रसंघ चुनावों की मांग को लेकर आए दिन आंदोलन किया करती थी परंतु अब मप्र में भाजपा सरकार की तीसरी पारी चल रही है लेकिन खुले छात्रसंघ चुनाव तो दूर पुरानी परंपराओं का पालन तक नहीं हो पा रहा है। पिछले 4 साल से मप्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। इस बार भी मामला अधर में ही है।

वर्ष 2011 में हुए थे चुनाव
प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव वर्ष 2011 में हुए थे। इसके बाद चुनाव नहीं हुए हैं। छात्र संघ चुनाव को लेकर पिछले साल भी राजनीति होती रही थी। ऐसे ही प्रत्यक्ष प्रणाली से आखिरी चुनाव 1986 में हुए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। फिर 1994 में चुनाव की तैयारी के बीच ऐन मौके पर रोक लग गई थी। इसके बाद से प्रत्यक्ष प्रणाली से कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव नहीं हो पा रहे हैं।

चुनाव को लेकर जल्द होगा फैसला
छात्र संघ चुनाव कराने की पूरी कोशिश है। इसको लेकर शासन स्तर पर चर्चा चल रही है। जल्द चुनाव के नियम बना लिए जाएंगे। इसके बाद चुनाव की तारीख तय होगी।
दीपक जोशी, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री

चुनाव से डर रही है सरकार
सरकार छात्र संघ चुनाव से डर रही है। अगर इस बार चुनाव नहीं होते हैं, तो हम उच्च शिक्षा मंत्री के बंगले का घेराव करेंगे। जब से भाजपा शासन है, छात्र संघ चुनाव को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बन पाई।
विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, एनएसयूआई

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प्रदेशभर में होगा प्रदर्शन
छात्र संघ चुनाव हमारा प्रमुख एजेंडा है। चुनाव न होने से लीडरशिप खत्म हो रही है। चुनाव की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार युवाओं को नेतृत्व का मौका नहीं देना चाहती।
विजय अटवाल, प्रदेश संगठन मंत्री, एबीवीपी

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