पाकिस्तान की कसक, टसक और ठसक

राकेश दुबे@प्रतिदिन। और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत और पाकिस्तान की आपसी वार्ता चलते रहने देने और संयम की अपील की है। अंतराष्ट्रीय बिरादरी को सोचना चाहिए कि भारत की सदाशीलता का हमेशा दुरूपयोग करने वाले पाकिस्तान से क्यों और कब तक बातचीत का मौका देते रहना चाहिए। कश्मीर, जो उसका न कभी था और न कभी होगा को जबरन अपना कहने की नकली कसक को न  छोड़ना, उसे भारी भी पड़ सकता है। सारी दुनिया को साफ़ दिख रहा है की इस बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत में अडंगा किसने डाला।

भारत का साफ कहना है कि पाकिस्तान ने वार्ता के एजेंडे में कश्मीर को और पाक के राष्ट्रीय सलाहकार सरताज अजीज संग कश्मीरी अलगाववादियों की मुलाकात को जोड़ कर इस वार्ता को अधर में लटका दिया है। भारत का कहना है कि उसे ये शर्तें कतई मंजूर नहीं और वह रूस के उफा में पीएम मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच दोबारा वार्ता शुरू करने को लेकर हुई बातचीत में तय शर्तों पर ही वार्ता करेगा।भारत महसूस करता है कि पाकिस्तान कभी भी उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच वार्ताओं को लेकर गंभीर नहीं रहा और उफा शिखर बैठक के नतीजों के बावजूद पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा जम्मू कश्मीर में नागरिकों को निशाना बनाते हुए की जाने वाली गोलाबारी में बढ़ोतरी हुई और साथ ही दो बड़े आतंकवादी हमलों के अलावा घुसपैठ की घटनाओं में भी इजाफा हुआ।

भारत सरकार का यह मानना है कि एनएसए स्तरीय वार्ता में पाकिस्तान की स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच दस जुलाई को उफा में बनी सहमति के उलट है, क्योंकि इस्लामाबाद ने इस समझ की 'तोड़मरोड़ कर व्याख्या' की है। भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश दे दिया है कि उसकी ओर से उसकी ओर से थोपी जा रही 'एकतरफा नई शर्तें' और दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति की 'तोड़मरोड़ कर की गई व्याख्या' मंजूर नहीं है।पाकिस्तान ने इस संबंध में भारत की सलाह को नकार दिया।

कश्मीर में  कभी जनमत संग्रह तो कभी चुनी हुई सरकार की मांग  करने वाले पाकिस्तान को न जाने क्यों कश्मीर की चुनी हुई सरकार इस हद तक गलत लगती है कि वो अपने यहाँ होने जा रहे पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में कश्मीर विधान सभा के अध्यक्ष को आमंत्रित तक नहीं करता है। उसे सम्मेलन निरस्त करना बेहतर लगा जो बेवजह की ठसक है। अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह याद रखना चाहिए की भारत का विकास उसके लिए कसक है और उसके हालात उसे टसकने को मजबूर कर रहे है और नकली ठसक दिखा कर वो अपने अपराध नहीं छिपा सकता। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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