भोपाल। कर्मचारी संगठनों ने सातवें वेतन आयोग के सामने अपनी मांगे रख दीं हैं। वो हर हाल में दोगुनी सेलेरी चाहते हैं। उन्होंने अपने सारे फार्मूले समझा दिए हैं, प्रक्रिया जारी है। संगठनों का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया में मांगे नहीं मानी गईं तो एक बड़ी हड़ताल होगी।
आयोग की रिपोर्ट सितंबर के दूसरे सप्ताह में केंद्र सरकार को सौंपी जाना है। केंद्र सरकार के 55 लाख कर्मचारियों में से एक लाख मप्र में कार्यरत हैं। नया वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू होना है।
सूत्रों के अनुसार सातवें वेतन आयोग में ग्रेड-पे को खत्म किया जा रहा है, जिसके स्थान पर 15 नए स्केल बनाए जा रहे हैं। इन स्केल में वेतनमान रहेंगे और उस पर महंगाई भत्ता देय होगा। इसी के अनुसार अन्य सुविधाओं मकान भाड़ा और परिवहन भत्ता दिया जाएगा।
पहले से लागू है 33 साल में रिटायरमेंट का फाॅर्मूला
फिलहाल लागू छठे वेतनमान में कर्मचारियों की 33 साल की सेवा पूरी होने के बाद रिटायरमेंट का फार्मूला लागू है। इसके पीछे कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर साढ़े सोलह महीने के वेतन के बराबर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाना है। इस सेवा के बाद कर्मचारी पूरी पेंशन का हकदार होता है। इसे सातवें वेतनमान में भी लागू किया जाना प्रस्तावित है।
यह होगी प्रक्रिया
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट सरकार के सौंपे जाने के बाद वरिष्ठ सचिवों की समिति इसका परीक्षण करेगी, जिसमें दो महीने का समय लगेगा। इसके बाद इसे वित्त मंत्रालय को सौंपा जाएगा, जिसे वह अगले साल 1 जनवरी 2016 से लागू करने हरी झंडी देगा, इसे जस का तस मौजूदा वेतन का 2.86 गुना बढ़ाया जाने पर सरकार पर 1 लाख 28 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। इधर केंद्रीय अधिकारी कर्मचारियों के संगठन ने सरकार को चेतावनी भी दे दी है कि यदि सेंट्रल-पे- कमीशन (सीपीसी) की रिपोर्ट में ज्यादा कटौती होती है तो वे हड़ताल पर भी जाने का कदम उठा सकते हैं।
अभी सीपीसी की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाना है, उस पर वरिष्ठ सचिवों की समिति विचार करेगी। इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। इसमें जो भी विसंगति होगी, उस पर चर्चा करेंगे। अधिकारी-कर्मचारियों के संगठन पहले ही अपनी मांगें सरकार के सामने रख चुके हैं। इसके बाद भी बात नहीं बनती है तो हड़ताल पर जाने का रास्ता खुला है।’
केकेएन कुट्टी, अध्यक्ष, केंद्रीय कर्मचारी परिसंघ