हरदा। मप्र में अध्यापकों की नई तबादला नीति एक घर की बर्बादी का कारण बन गई। जबकि कई घर बर्बादी की कगार पर हैं। यहां एक महिला अध्यापक को ट्रांसफर नहीं मिला, इसी परेशानी के चलते शादी के 6 साल बाद पति ने तलाक का वाद दाखिल कर दिया। इतना ही नहीं पति ने सरकारी कर्मचारी पत्नी से गुजारा भत्ता मांगा एवं न्यायालय ने इस मांग को जायज भी माना।
दरसअल, हरदा की रहने वाली भावना एक शासकीय स्कूल में अध्यापक है। जिसकी शादी इंदौर के परेश त्रिवेदी से 6 साल पहले हुई थी। मप्र में शासकीय अध्यापकों की तबादला नीति जारी ना हो पाने के कारण भावना का ट्रांसफर नहीं हो पा रहा था। इसके चलते ससुराल पक्ष के लोग भी इस उम्मीद में थे कि एक दिन पॉलिसी जारी होगी और भावना ट्रांसफर लेकर इंदौर आ जाएगी, लेकिन पिछले दिनों मप्र शासन ने अपनी शातिराना तबादला पॉलिसी जारी कर दी। इस पॉलिसी के तहत भावना और उसके जैसी महिला अध्यापकों का तबादला असंभव था। बस ससुराल वालों का धैर्य टूट गया।
जिसके बाद परेश ने इंदौर कोर्ट में तलाक का केस लगाया था। मजबूर भावना पति से तलाक नहीं चाहती थी परंतु मामला न्यायालय में पहुंच गया तो उसने न्यायालय में वाद दाखिल किया कि पति उसके पास हरदा में आकर रहे। उसे उम्मीद थी कि नई पॉलिसी का विरोध चल रहा है। संगठन आंदोलन की बात कर रहे हैं। कोर्ट कचहरी के मामले में वक्त लग जाएगा तब तक सरकार तबादला पॉलिसी में बदलाव कर देगी और वो इंदौर चली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संगठनों ने इस पॉलिसी के खिलाफ कोई ठोस आंदोलन नहीं किया। भोपाल समाचार के पास भी इस पॉलिसी के खिलाफ कई महिला अध्यापकों के फोन कॉल एवं ईमेल आए, लेकिन कर्मचारी नेताओं की आपसी राजनीति के चलते कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका। पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं हुआ और न्यायालय में मामला फैसले पर आ गया।
हरदा कोर्ट में परेश ने बताया कि वो अपने बुजुर्ग माता-पिता को छोड़कर वो पत्नी के साथ हरदा में नहीं रह सकता और बार-बार पेशी पर आने के कारण उसकी नौकरी छूट गई है। इसलिए उसे पत्नी से गुजारा भत्ता दिलाया जाए। जिस पर कोर्ट ने परेश के पक्ष में भावना को आदेश देते हुए कहा कि, मामले का निराकरण होने तक भावना अपने पति को 5 हजार रुपए महीनें गुजारा भत्ता देना होगा।