भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच कथित गुप्त समझौते का राज अब खुल जाएगा। यदि दोनों के बीच कोई गुप्त समझौता नहीं है तो शिवराज सिंह सरला मिश्रा हत्याकांड का नोटिफिकेशन जारी करने में वक्त नहीं लगाएंगे।
भाजपा ने मध्यप्रदेश में 10 साल के दुखद दिग्विजय सिंह साम्राज्य का अंत किया था। इससे पहले सदन के भीतर भी भाजपा ने दिग्विजय सिंह सरकार से काफी संघर्ष किया। दूसरी और तीसरी बार भी भाजपा ने मप्र की जनता को दिग्विजय सिंह का भूत दिखाकर वोट हासिल किया। चुनावीं सभाओं में नेताओं ने साफ साफ कहा 'भाजपा को जिताओ, नहीं तो दिग्विजय सिंह आ जाएगा।'
यह सब देखकर लगता है कि शिवराज सिंह चौहान एवं दिग्विजय सिंह के बीच घनी राजनैतिक दुश्मनी है परंतु यदि पर्दे से इस रील को उतारकर कुछ और चित्र देखें तो नजारा ही बदल जाता है।
क्या बात है कि जिन मुद्दों को भाजपा ने दिग्विजय सिंह सरकार के समय पूरी ताकत से उठाया। सरकार बनने के बाद भाजपा उन्हे भूल गई। आखिर क्यों, भाजपा ने जिन्हे आरोपों के कटघरे में खड़ा किया था, उनके खिलाफ कोई जांच भी नहीं की।
सरला मिश्रा हत्याकांड एक ऐसा ही उदाहरण है। इस मामले को भाजपा ने सदन और सदन के बाहर जोर शोर से उठाया था। सीबीआई जांच की मांग की थी और सदन को चलने नहीं दिया गया था। पूरे 10 दिन तक हंगामा किया। अंतत: तत्कालीन गृहमंत्री चरणदास महंत ने 27 फरवरी 1997 को प्रदेश विधानसभा में जारी वक्तव्य में सीबीआई को जांच सौंपने की घोषणा की। लेकिन इस जांच के लिए कभी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया।
आप जानकार आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि इसके बाद सदन में भाजपा ने भी कोई विरोध नहीं किया। भाजपा की सरकार बनी। दिग्विजय सिंह को 'मिस्टर बंटाढार' बुलाने वाली उमा भारती सीएम बनीं लेकिन नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। बाबूलाल गौर को तो आंधी के आंम मिले, इसलिए उनसे उम्मीद करना बेमानी है, परंतु शिवराज सिंह चौहान की तो दिग्विजय सिंह ने कुर्सी हिला डाली। विधानसभा भर्ती घोटाले में सरकार ने एफआईआर कराई लेकिन सरला मिश्रा हत्याकांड का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।
सवाल सिर्फ यह है कि आखिर वो कौन सा रिश्ता है जो जनता से छिपाया जा रहा है। आखिर वो कौन सी मजबूरी है जो दिग्विजय सिंह को बचाया जा रहा है। एक बार जो जाने दीजिए सीबीआई जांच, माथे से कलंक मिट जाएगा। दिग्विजय सिंह यदि दोषी होंगे तो जेल जाएंगे, नहीं होंगे तो सच सबके सामने आ जाएगा।
शिवराज सिंह जी, ये कैसी राजनीति है जो कानून से खेल रही है, न्याय को रोक रही है।