मप्र के 70 हजार स्टूडेंट्स के करियर से खिलवाड़

भोपाल। मप्र शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने 70 हजार स्टूडेंट्स के साथ भद्दा मजाक किया है। एडमिशन के समय काउंसलिंग के दौरान स्टूडेंट्स ने सागर यूनिवर्सिटी के कॉलेज चुने थे परंतु विभाग ने काउंसलिंग के बाद स्टूडेंट्स की यूनिवर्सिटी ही चेंज कर दी। उन्हें ऐसी यूनिवर्सिटी से संबंद्ध कर दिया गया जो हाल ही में गठित हुईं हैं।

सागर, छतरपुर, पन्ना, दमोह, छिंदवाड़ा सहित कई अन्य जिलों के 70 हजार से भी अधिक छात्रों का प्रवेश 25 जुलाई तक चली काउंसिलिंग प्रक्रिया के तहत किया गया है। इस दौरान इन छात्रों का प्रवेश सागर विवि के अधीन किया गया लेकिन छात्रों का केंद्रीय विवि में पढ़ने का सपना उस समय चूर चूर हो गया जब 25 जुलाई को ही राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, सागर तथा दमोह के कालेजों के छात्रों को महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि छतरपुर के अधीन कर दिया, जबकि छिंदवाड़ा को रानी दुर्गावती विवि जबलपुर के अधीन करने का फरमान जारी कर दिया।

काउंसलिंग खत्म होने के बाद लिया निर्णय
छात्रों का कहना है कि यदि उच्च शिक्षा विभाग को यह निर्णय लेना ही था तो काउंसलिंग के पहले लेते ताकि छात्रों को यह पता रहता कि वे केंद्रीय विवि के अधीन शिक्षा नहीं ले सकेंगे। लेकिन राज्य शासन ने यह अधिसूचना चारों काउंसलिंग खत्म होने के बाद 25 जुलाई को ही जारी की जो छात्रों के भविष्य के साथ छलावा है, और छात्र खुद को सरकार के हाथों ठगा महसूस कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यदि डिसीजन लेना ही था तो या तो अक्टूबर 2014 में ही ले लेते या फिर अगले सत्र यानी 2016 में यह निर्णय लिया जाना उचित होता।

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