नईदिल्ली। एक जमाने में 'राजधर्म' के मामले में नैतिकता से इतर मोदी की कुर्सी बचाए रखने के लिए वीटो लगाने वाले लालकृष्ण आडवाणी अब प्रधानमंत्री बन गए मोदी को 'राजधर्म' सिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
आडवाणी ने इशारों-इशारों में मोदी पर वार करते हुए कहा कि नेताओं को मूल्यों और नैतिकताओं को बनाए रखना चाहिए. यही नहीं, आडवाणी ने कहा कि हवाला का आरोप लगने मात्र पर उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था. 'एक नेता के लिए जनता का भरोसा हासिल रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. नैतिकता जो मांग करती है वह ‘राजधर्म’ है और सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा कायम रखने की जरूरत है.'
आडवाणी का यह बयान ऐसे समय आया है जब स्वराज और राजे ललित मोदी विवाद में फंसी हुई हैं. पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी की मदद मामले में कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है.
गुजरात दंगों में मोदी को बचाया था
लेकिन यह भी बता दें कि गोधरा कांड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी चाहते थे कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस्तीफा दे दें, राजधर्म का पालन करें परंतु आडवाणी ही थे, जिन्होंने नैतिकता को दरकिनार कर मोदी को बचाया और कुर्सी पर बनाए रखा। कमोवेश सुषमा स्वराज को भी बचाने को बिगाड़ने का श्रेय आडवाणी जी को ही जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब आडवाणीजी ने अपने इन नेताओं को नैतिकता कभी सिखाई ही नहीं, तो अब उम्मीद कैसे कर सकते हैं।