नई दिल्ली। इन दिनों ये कैसी राजनीति चल रही है। समीकरण आम आदमी की समझ से बाहर होते जा रहे हैं और सचमुच यह कहा जाना चाहिए कि लोकतंत्र खतरे में आ गया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुबह से मोदी पर हमले शुरू किए, धिक्कारा, दुत्कारा और शाम को मोदी ने एक ट्विट में बताया कि मनमोहन उनसे मिलने उनके घर आए थे। सवाल यह है कि मनमोहन क्या करने गए थे, मोदी के घर। क्या देश को उल्लू बनाया जा रहा है या राजनीति के बिग प्लेयर्स अब एक ही थाली के साथी हो गए हैं।
पहले मनमोहन सिंह ने किए हमले
मनमोहन ने कहा, ''देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरा पैदा हो गया है। देश के सामाजिक बनावट को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसे रोकने के लिए युवाओं को जिम्मेदारी उठानी होगी। कृषि उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। गांवों में रहने वाली देश की 65 फीसदी आबादी संतुष्ट नहीं है। निर्यात में कमी आ रही है। बीजेपी सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। लेकिन पिछले एक साल में बीजेपी सरकार कई आंकड़ों और तथ्यों को गढ़ कर ये जताने की कोशिश कर रही है कि अर्थव्यवस्था की हालत उतनी खराब नहीं है।
फिर बीजेपी ने किया पलटवार
मनमोहन के बयान के बाद बीजेपी की ओर से कई नेताओं ने निशाना साधा। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 10 साल के शासनकाल में 12 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और वह सिर्फ यह कह कर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते कि इन घोटालों से उनको कोई लाभ नहीं पहुंचा है।
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मनमोहन सिंह गांधी परिवार की कठपुतली थे, उनके राज में मंत्री खुद को पीएम समझते थे। मनमोहन जब पीएम थे तो कहते थे कि हजारों जवाबों से अच्छी मेरी खामोशी है और आज जब सब लुट गया तो चुप्पी तोड़ी है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भ्रष्टाचार को कोई मुद्दा नहीं बताने संबंधी टिप्पणी करके यह स्वीकार किया है कि कहीं तो कुछ गलत हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री का यह कहना कि भ्रष्टाचार का कोइ मुद्दा ही नहीं है, बेहद गैर जिम्मेदाराना है।
शाम को सीन ही बदल गया
देर शाम पीएम नरेंद्र मोदी ने मनमोहन के साथ अपनी फोटो ट्वीट की। पीएम ने बताया कि उन्होंने अपने निवास 7 रेस कोर्स रोड पर मनमोहन से मुलाकात की। मोदी ने लिखा, “डॉ मनमोहन सिंह से मिलकर और सात आरसीआर में उनका स्वागत करके बहुत खुशी हुई। हमारी मुलाकात बहुत अच्छी रही।” दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। बस सूत्रों ने इतना कहा कि 'मनमोहन सिंह' मोदी को एक साल पूरा होने पर बधाई देने आए थे।
- हमारे सवाल
- सवाल यह है कि बधाई देने का यह कौन सा तरीका हुआ। सुबह खरीखोटी सुनाई और शाम को हाथ मिला लिया।
- यदि शाम को बधाई ही देनी थी तो सुबह मोदी को धिक्कार क्यों दिया।
- वो कौन सी नस है जो मोदी ने दबाई और मनमोहन 7 RCR जा पहुंचे।
- क्या राजनीति से सारे वजीर अब एक टीम हो गए हैं, लोगों को भ्रमित करने के लिए अलग अलग पार्टियों में दिखाई देते हैं।
- सवाल यह भी है कि मोदी ने मिलने आए मनमोहन की फोटो सार्वजनिक कर क्या जताने का प्रयास किया है ?
- क्या वो यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके खिलाफ जो भी आवाज उठाएगा उसे शाम तक घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया जाएगा।
- क्या मनमोहन सिंह में अब जरा भी शक्ति नहीं बची और यदि यह सही है तो रिटायर क्यों नहीं हो जाते। जरूरत क्या थी सुबह सवेरे बखेड़ा खड़ा करने की। या फिर वो मोदी पर कोई दवाब बनाना चाहते थे।
- सार्वजनिक आयोजनों और परिवारिक कार्यक्रमों में आना जाना समझ में आता है परंतु मनमोहन का यूं मोदी के घर जाना कई सवाल छोड़ जाता है।
सिर्फ एक सलाह
नेताओं को चाहिए कि वो जनता को उल्लू समझना छोड़ दें। अब वो बिकाऊ मीडिया के माध्यम से जारी होने वाली खबरों से समाज का माहौल नहीं बदल सकते। यह जमाना मीडिया ट्रायल का नहीं पब्लिक ट्रायल का है। पब्लिक की वक्र दृष्टि पड़ गई तो सोशल मीडिया पर ऐसा पब्लिक ट्रायल होगा कि सारी उछलकूद भूल जाएंगे।
